दिल्ली में कोविड का आखिरी वार्ड नवंबर 2022 में हटा दिया गया. राजधानी के 11 वार्डों में यह सबसे बड़ा वार्ड एलएनजेपी अस्पताल में था. आज वह पूरी जगह जो कभी परिवारों, जूझते मरीजों और बदहवास डॉक्टरों से खचाखच भरी रहती थी, एक बार फिर पढ़ाई की कक्षाओं में बदल गई है. बिस्तर और मशीनें भले गायब हो गई हों, लेकिन महामारी से मिले सबक सबको याद हैं. देश में डॉक्टर और वैज्ञानिक बीमारी के अगले बड़े प्रकोप के लिए चौकस और चिंतित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे 'डिजीज एक्स' या रोग एक्स नाम दिया है. इसके जूनोटिक (ऐसी बीमारी या संक्रमण जो जानवरों से इनसानों को या इनसानों से जानवरों को स्वाभाविक रूप से हो सकता है) होने की आशंका है. मुमकिन है कि यह आरएनए वायरस होगा. वैश्विक स्वास्थ्य संस्था की तरफ से रोग एक्स की घोषणा से बड़े पैमाने पर अनुसंधान और भविष्यवाणियां होने लगी हैं कि अगली महामारी दुनिया पर कब धावा बोलेगी.
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मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
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हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.