इसलिए वे व्यक्तिगत, सरकारी और राजनैतिक हर तरह के कामकाज के लिए इस बैटरी रिक्शा, जिसे गया शहर में टोटो कहते हैं, पर ही सफर करती हैं. वह भी रिजर्व करके नहीं, शेयर करके. चिंता देवी इस शहर की डिप्टी मेयर हैं. गया नगर निगम में जहां नगर आयुक्त के लिए वाहन का प्रावधान है, दोनों उप नगर आयुक्त के लिए भी वाहन का इंतजाम है, अन्य कार्यों को संपादित करने वाले सिटी मैनेजर और स्वच्छता पदाधिकारी के लिए भी वाहन का इंतजाम है, मगर डिप्टी मेयर के लिए किसी वाहन का इंतजाम सरकार की तरफ से नहीं है.
उन्हें यात्रा भत्ता के तौर पर दस हजार रुपए प्रति माह मिलते हैं. वह भी चार-पांच महीने में एक बार, ऐसे में चिंता देवी के लिए अपने काम से कहीं आना-जाना एक मुश्किल काम है. वे कहती हैं, "हम गरीब घर से हैं, अनुसूचित जाति से आते हैं, हमारे पास इतना पैसा कहां कि अपनी गाड़ी रखें. एतना बड़ा क्षेत्र है, मानपुर जाना हो या बेलागंज जाना हो तो हम टोटो (बैटरी रिक्शा) से जाते हैं. किसी को साथ ले जाते हैं, उसका भी भाड़ा देना पड़ता है. पहले वाले डिप्टी मेयर को गाड़ी मिलती थी, हमको नहीं मिली. हम सरकार को लिखे भी, मुख्यमंत्री को भी लिखे, लेकिन हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ. अड़ोस-पड़ोस का लोग, उनीयन (यूनियन) का लोग सब बोलता है, अब आप डिप्टी मेयर हो गई हैं, टोटो पर काहे चलती हैं. लेकिन हम क्या कर सकते हैं?"
डिप्टी मेयर बनने से पहले चिंता देवी इसी गया नगर निगम में सफाईकर्मी थीं. वे बताती हैं, "पहले झाडूदारिन थे, सरकारी नौकरी थी. सफाई कर्मियों के उनियन (यूनियन) का अध्यछ भी थे, उसकी मीटिंग में जाते थे. उनियन के एक नेता अमृत बाबू काफी मदद करते थे. पहले भी नगर निगम के अधिकारी हमें बैठकों में बुलाते थे. 2020 में रिटायर होकर सब्जी बेचने लगी. पब्लिक आकर कहने लगी कि आप लोगों का आरक्षण है तो चुनाव में खड़े हो जाइए. खड़े हो गए और जीत भी गए."
هذه القصة مأخوذة من طبعة December 25, 2025 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة December 25, 2025 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.