अब बताइए भला! क्या कभी किसी को हमें यह सिखाने की जरूरत पड़ी कि सोएं कैसे ? भूख, प्यास और सांसों की तरह यह जरूरत भी एक कुदरती व्यवस्था के तहत इंसानी शरीर के साथ गुंथी-बिंधी आई है. पर हां, भूख, प्यास और सांसों के उलट, नींद ऐसी चीज है जिसके बिना भी हम थोड़ा अधिक अरसे तक जिंदा रह सकते हैं. तभी तो दिल्ली में इंजीनियरिंग के छात्र 21 वर्षीय दिनेश बत्रा को नींद से कुछ घंटे का समझौता करने में रत्ती भर भी झिझक न हुई. वे बताते हैं, “पढ़ाई, रिलेशनशिप, परिवार के मसले और कम होता वजन, सब एक साथ संभालना पड़ रहा था. नींद में कुछ घंटों की कटौती करके मैंने संभाला." सूजी आंखें, उनके नीचे काले घेरे, पीली पड़ती त्वचा सुबह उठने पर उनके लिए आम बात हो गई. उन्हें ख्याल ही न आया कि दो साल तक इस तरह से वक्त-बेवक्त और कम सोने का किसी और चीज पर असर पड़ सकता है. शरीर के भीतर भी एक तरह की घड़ी होती है जो दिन और रात के चक्र से स्वाभाविक रूप से जुड़ी रह है. इसे सर्केडियन रिद्म कहते हैं. बत्रा ने इसे पूरी तरह से बिगाड़ लिया. अब उन्हें सोने के लिए भी अक्सर दवाई लेनी पड़ती है.
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 14, 2024 من India Today Hindi.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.