भारतीय विमानन क्षेत्र एक ऐसे बड़े अनुभव से गुजरने वाला है जो जिंदगी में एकाध बार ही होता है. इसके तहत अगले 5-6 साल में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों का आकार दोगुने से भी ज्यादा हो जाएगा. घरेलू हवाईअड्डों पर यात्रियों की संख्या वित्त वर्ष 2024 में 30.7 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2030 तक 60-70 करोड़ हो सकती है. इसी अवधि अंतरराष्ट्रीय यातायात 7 करोड़ यात्रियों से बढ़कर 14-16 करोड़ हो सकता है.
इस बीच, भारतीय विमान सेवाओं की फ्लीट का आकार भी वित्त वर्ष 30 तक दोगुना होकर लगभग 1,400 विमानों तक पहुंचने की उम्मीद है. लब्बोलुआब यह कि जे. आर. डी. टाटा के एयर इंडिया की पहली उड़ान के संचालन के बाद से करीब 90 साल में भारतीय विमानन ने जो ग्रोथ देखी है, वह अगले 5-6 साल में ही दोहराई जाएगी. ग्रोथ की यह दर वैश्विक विमानन में शायद ही कभी देखी गई है. शायद चीन इकलौती मिसाल है जिससे इसकी तुलना की जा सकती है. इसमें भारतीय विमानन-और भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता है, बशर्ते हम इसके लिए माकूल तैयारी करें. संस्थागत बुनियादी ढांचे, नीति, विनियमन और हुनर के मामले में एक सक्षम इकोसिस्टम तैयार करने पर ध्यान देने की जरूरत है. एविएशन वैल्यू चेन में प्रशिक्षित संसाधनों की एक पाइपलाइन विकसित करना भारत की विकास गाथा का एक अहम हिस्सा होगा.
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