यागराज के संगम क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे मौजूद अकबर के किले के ठीक पीछे त्रिवेणी बांध इलाके में प्राचीन मंदिरों की एक श्रृंखला है. दो हफ्ते पहले इन मंदिरों की दीवारों पर सरकारी कर्मचारियों के लगाए गए लाल निशान ने त्रिवेणी बांध इलाके में तनाव ला दिया है. इन्हीं मंदिरों में करीब दो सौ साल पुराना "ठाकुर राधा कृष्ण गोपाल मंदिर" है जो अकबर के किले से संगम क्षेत्र पर मौजूद 'लेटे हनुमान मंदिर' के निर्माणाधीन कॉरिडोर को जोड़ने वाली सड़क की जद में आ गया है. मंदिर के महंत लक्ष्मणदास जी महाराज भविष्य को लेकर परेशान हैं. पूजा-पाठ के साथ महंत का ज्यादा समय इन दिनों सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने में बीत रहा है. महंत लक्ष्मणदास बताते हैं, "हम लोग महाकुंभ 2025 की तैयारियों में जुटे थे कि मंदिर की दीवार पर लाल निशान लगाकर इसे ढहाने की तैयारी ने मेरी नींद उड़ा दी है. अधिकारी यह नहीं बता रहे कि जो मंदिर गिराए जाएंगे, उन्हें आखिर कहां स्थापित किया जाएगा ?"
बहरहाल जैसे-जैसे समय बीत रहा है त्रिवेणी बांध इलाके के करीब एक दर्जन पुराने मंदिरों के अस्तित्व पर आशंका के बादल गहरे होते जा रहे हैं. वहीं प्रयागराज मेला प्राधिकरण के अधिकारियों का तर्क है कि त्रिवेणी बांध इलाके की ज्यादातर इमारतें सरकारी जमीन पर हैं. महाकुंभ - 2025 में बड़ी तादाद में आने वाले श्रद्धालुओं के अवरोध रहित आवागमन की व्यवस्था के लिए रास्ते का प्रबंध करने में इन भवनों को हटाना जरूरी हो गया है. अब जबकि महाकुंभ 2025 के आयोजन में तीन महीने से कम का समय रह गया है, संगम क्षेत्र में प्राचीन मंदिरों के अस्तित्व को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई है.
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