दिल्ली के ओखला में स्थित न्यूट्रीहर्ब्स नाम का फूड सप्लीमेंट बनाने वाली कंपनी के मालिक भूपेंद्र सिंह ने दिसंबर 2021 में अपने व्यापार चिह्न या ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली स्थित ट्रेडमार्क कार्यालय में अर्जी दी. 26 फरवरी, 2024 को उनका ट्रेडमार्क निर्धारित प्रक्रिया के तहत ट्रेडमार्क जर्नल में प्रकाशित भी हो गया लेकिन 27 सितंबर को उन्हें ट्रेडमार्क दफ्तर से ई-मेल आया कि अब आपको आवंटित व्यापार चिह्न की समीक्षा होगी क्योंकि इसे आउटसोर्स कर्मचारी ने जारी किया है. इसके दूसरे ट्रेडमार्क से मिलता-जुलता होने का अंदेशा है. आप संबंधित दस्तावेज जमा करें या सुनवाई की मांग करें. एक महीने में नोटिस का जवाब देने को कहा गया. नोटिस में कोलकाता हाइकोर्ट के अगस्त 2024 के एक फैसले का हवाला दिया गया जिसमें ट्रेडमार्क दफ्तर के आउटसोर्स कर्मचारियों की ओर से किए गए फैसलों को अमान्य करार दिया गया था. भूपेंद्र न्यूट्रीहर्ब्स में करीब 10 करोड़ रुपए का निवेश कर चुके हैं. अब वे कंपनी के भविष्य को लेकर असमंजस में हैं और अपने वकील को आड़े हाथ ले रहे हैं. वकील उनसे ऊंची अदालतों तक जाकर न्याय दिलाने का वादा कर रहे हैं, लेकिन भूपेंद्र की चिंता जस की तस है क्योंकि वे पैकेजिंग, प्रिंटिंग और पब्लिसिटी पर तीन करोड़ रु. से ज्यादा खर्च कर चुके हैं. यह अकेले भूपेंद्र की चिंता नहीं, हजारों कारोबारियों की है क्योंकि आउटसोर्स कर्मचारियों ने ऐसे हजारों फैसले किए हैं जिनकी समीक्षा हो रही है.
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