संतान सुख सबका अधिकार
India Today Hindi|December 18, 2024
यह कहानी शुरू होती है 46 साल पहले अगस्त, 1978 से. राजस्थान के उदयपुर में 12 नवंबर, 1952 को जन्मे डॉ. अजय मुर्डिया का पुरुषों के प्रजनन से संबंधित विषय पर एक रिसर्च पेपर विश्व प्रतिष्ठित जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित हुआ.
हिमांशु शेखर
संतान सुख सबका अधिकार

डॉ. अजय मुर्डिया, 72 वर्ष उदयपुर, राजस्थान

उसी साल ब्रिटेन में पैट्रिक स्टेप्टो, रॉबर्ट एड्वर्ड्स और जिन पर्डी की तिकड़ी ने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) तकनीक के जरिए दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस ब्राउन को जन्म दिलाने में सफलता हासिल की थी. डॉ. मुर्डिया को वहीं से यह तकनीक भारत में लाने और इसे जन-जन तक पहुंचाने की प्रेरणा मिली.

पर ऐसी विशिष्ट तकनीक को उन दिनों भारत तक लाना आसान न था. आर्थिक पक्ष तो एक बात थी, सामाजिक पहलुओं पर भी डॉ. मुर्डिया को संघर्ष करना था. खैर, 1988 में उन्होंने उदयपुर में अपने पहले इंदिरा इनफर्टिलिटी क्लीनिक ऐंड रिसर्च सेंटर की शुरुआत की. वह दौर ऐसा था जब शादीशुदा जोड़े के बच्चे न होने के लिए सिर्फ पत्नी को ही जिम्मेदार माना जाता था. इसी सोच को चुनौती देने के लिए उन्होंने 'निस्संतानता भारत छोड़ो' अभियान की शुरुआत की. संतोष की ग सांस लेते हुए वे याद करते हैं, "इस अभियान के तहत मैंने 25 राज्यों के 752 शहरों में 3,242 फ्री इनफर्टिलिटी कंसल्टेशन कैंप किए और 75,000 से ज्यादा जोड़ों की मदद की."

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