गुड़ियापदर खास छत्तीसगढ़ के लगभग 21000 हजार गांवों में से एक है। इसलिए नहीं कि यह गांव नक्सली दहशत वाले बस्तर अंचल के कांगेर वैली नेशनल पार्क और कांगेर वैली के कोर एरिया के वनांचल में बसा है, बल्कि इसलिए कि संवेदनशील क्षेत्र में बसे होने के बावजूद इस गांव ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है। पर्यटकों के इस क्षेत्र में आने से गुड़ियापदर के गांववालों के जीवन में सुधार दिखने लगा है। रायपुर से लगभग 350 किलोमीटर की दूरी पर बसा गुड़ियापदर राज्य के अतिसंवेदनशील इलाके बस्तर में आता है। पिछले कुछ साल में नक्सली घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आने और सुरक्षाबलों के कैंप खुलने से इस जिले में आने वाले बोदली, तिरिया, भडरीमहू, रेखाघाटी, चांदामेटा और कांटाबांस में गांववालों के साथ पर्यटकों में आत्मविश्वास जागा। आकड़ों के हिसाब से अगर देखा जाए, तो बस्तर जिले में 2018 में 17, 2019 में 11, 2020 में 14, 2021 में पांच और 2022 में तीन नक्सल घटनाएं हुई थीं।
राहत की बात यह है कि 2023 में अब तक यहां एक भी नक्सल वारदात नहीं हुई है। शांति स्थापित होने के चलते वैकल्पिक पर्यटन अनुभवों की तलाश को बल मिला। धीरे-धीरे पर्यटक भीड़ से दूर प्रकृति के साथ समय बिताने आने लगे। धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहे ग्रामीण पर्यटन से आजीविका के नए साधन बने और लोगों के जीवनस्तर में सुधार आने लगा।
इतना आसान न था
अधिकारियों का कहना है कि गुड़ियापदर को पर्यटन के नक्शे पर लाना आसान नहीं था। इसके लिए योजनाएं बनाई गईं। गांव में अधिकांश परिवार सुकमा जिले के बारसेरास गांव के रहने वाले हैं। कई साल तक जब खेती से अच्छे परिणाम आना बंद हो गए, तो गांववाले पलायन करने की सोचने लगे। धीरे-धीरे लोग कांगेर वैली के कोर एरिया में आकर बस गए। ऊंचे पहाड़, गहरी घाटियां, विशाल पेड़ों के समूह और मौसमी जंगली फूलों एवं वन्यजीवन की विभिन्न प्रजातियों के लिए यह अनुकूल जगह है।
هذه القصة مأخوذة من طبعة October 30, 2023 من Outlook Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة October 30, 2023 من Outlook Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
हिंदी सिनेमा में बलात्कार की संस्कृति
बलात्कार की संस्कृति को हिंदी फिल्मों ने लगातार वैधता दी है और उसे प्रचारित किया है
कहानी सूरमाओं की
पेरिस में भारत के शानदार प्रदर्शन से दिव्यांग एथलीटों की एक पूरी पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली
शेखपुर गुढ़ा की फूलन देवियां
शेखपुर गुढ़ा और बेहमई महज पचास किलोमीटर दूर स्थित दो गांव नहीं हैं, बल्कि चार दशक पहले फूलन देवी के साथ हुए अन्याय के दो अलहदा अफसाने हैं
महाशक्तियों के खेल में बांग्लादेश
बांग्लादेश का घटनाक्रम दक्षिण एशिया के भीतर शक्ति संतुलन और उसमें अमेरिका की भूमिका के संदर्भ में देखे जाने की जरूरत
तलछट से उभरे सितारे
फिल्मों में मामूली भूमिका पाने के लिए वर्षों कास्टिंग डायरेक्टरों के दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले अभिनेता आजकल मुंबई में पहचाने नाम बन गए हैं, उन्हें न सिर्फ फिल्में मिल रही हैं बल्कि छोटी और दमदार भूमिकाओं से उन्होंने अपना अलग दर्शक वर्ग भी बना लिया
"संघर्ष के दिन ज्यादा रचनात्मक थे"
फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लगभग सभी कलाकार आज बड़े नाम हो चुके हैं, लेकिन उसके जरिये एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले फैसल मलिक के लिए संघर्ष के दिन कुछ और साल तक जारी रहे। बॉलीवुड में करीब 22 साल गुजारने वाले फैसल से राजीव नयन चतुर्वेदी की खास बातचीत के संपादित अंश:
ग्लोबल मंच के लोकल सितारे
सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल का दौर खत्म होने और मल्टीप्लेक्स आने के संक्रमण काल में किसी ने भी गांव-कस्बे में रह रहे लोगों के मनोरंजन के बारे में नहीं सोचा, ओटीटी का दौर आया तो उसने स्टारडम से लेकर दर्शक संख्या तक सारे पैमाने तोड़ डाले
बलात्कार के तमाशबीन
उज्जैन में सरेराह दिनदहाड़े हुए बलात्कार पर लोगों का चुप रहना, उसे शूट कर के प्रसारित करना गंभीर सामाजिक बीमारी की ओर इशारा
कांग्रेस की चुनौती खेमेबाजी
पार्टी चुनाव दोतरफा होने के आसार से उत्साहित, बाकी सभी वजूद बचाने में मशगूल
भगवा कुनबे में बगावत
दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी और परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरण साधने के चक्कर में सत्तारूढ़ भाजपा कलह के चक्रव्यूह में फंसी