मुख्यमंत्री पद के दावेदार तमाम धुरंधरों को पछाड़ कर 26 अक्टूबर 2014 को मनोहर लाल ने दसवें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। 1980 से राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रचारक रहे ये लाल पहले के ‘लालों’ (बंसी लाल,भजन लाल, देवी लाल) से जुदा हैं। कई अनाथ बच्चों का नाथ बनकर मनोहर लाल ने न केवल उन्हें सरकारी नौकरियां दीं, बल्कि ‘हरियाणा एक हरियाणवी एक’ की सोच को सार्थक करते हुए उनकी पहली प्राथमिकता गांव-कस्बाई इलाकों के लाखों लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने की रही है।
रोहतक जिले के गांव निंदाना में जन्मे मनोहर लाल की जड़ें गांव से जुड़ी हैं। जब कभी गांव जाना होता है, तो ठिकाना खेत-खलिहान होते हैं और परिधान किसान का। चंडीगढ़ सचिवालय में हों या मुख्यमंत्री आवास में, आइपैड पर गड़ी उनकी नजरें पूरे तंत्र पर पैनी निगाह रखती हैं। टेक्नोलॉजी प्रेमी होने के नाते सुशासन में वह इसका भरपूर सदुपयोग करते हैं। भ्रष्टाचारियों और मुफ्तखोरों पर नकेल कस कर इन्होंने जरूरतमंदों तक अपनी पहुंच बढ़ाई। टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग विभाग के जो अधिकारी बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों की परियोजनाओं की फाइलें पहले मुख्यमंत्रियों को भेजा करते थे, वह परिपाटी 1 नवंबर 2016 से बंद है। विभाग के अधिकारी अब खुद ही ये फाइलें निपटाते हैं, मुख्यमंत्री कार्यालय का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं रहता।
लिखित परीक्षाएं और साक्षात्कार पास करने के बाद एचसीएस अफसर बनने के लंबे इंतजार में पथराई आंखों में तब खुशी चमक उठती है जब आखिरी साक्षात्कार के कुछ घंटे के भीतर ही नतीजे हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) के पोर्टल पर होते हैं। एचसीएस बनाने के लिए मुख्यमंत्रियों की मुहर के दिन लद गए। एचसीएस से आइएएस में प्रमोशन का अधिकार मुख्यमंत्रियों के अधिकार क्षेत्र में था, इस प्रमोशन के लिए यूपीएससी मुख्यमंत्रियों की सिफारिश को वरीयता देता था, लेकिन मनोहर लाल ने यह परंपरा बंद की।
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