भारतीय क्रिकेट में रुपये बरसते हैं। इस बोर्ड की कमाई कई देशों की जीडीपी से ज्यादा है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) की कमाई का सीधा संबंध देश में क्रिकेट की लोकप्रियता से है। जितना ज्यादा क्रिकेट, उतना ज्यादा टर्नओवर। यह विडंबना ही है कि कमाई करने के लिए मैदान पर पदाधिकारी नहीं खिलाड़ी उतरते हैं। इस कमाई के लिए लगातार खेलना उन्हें कई बार बुरी तरह से थका देता है। लेकिन आराम का नियम चुनिंदा खिलाड़ियों पर ही लागू होता है। अगर कोई खिलाड़ी खुद आराम की मांग करे, तो वह टीम से सिरे से गायब हो जाता है। जैसे ईशान किशन। आश्चर्यजनक रूप से ईशान किशन खेल के तीनों ही प्रारूपों- टेस्ट, एकदिवसीय और टी20 से अचानक गायब हो गए हैं। दबे स्वरों में चर्चा है कि मानसिक तनाव दूर करने के लिए मांगी गई छुट्टी का खामियाजा किशन को भुगतना पड़ रहा है। सवाल उठता है कि क्या वाकई भारतीय टीम बहुत ज्यादा खेल रही है? या सिर्फ कमाई के लिए युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा को नजरअंदाज किया जा रहा है?
क्रिकेट मौके और परिस्थितियों का खेल है। भारत का क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं है। भारत में क्रिकेट को लेकर हमेशा से बहुत ज्यादा दीवानगी रही है। क्रिकेट में नए-नए प्रयोग होने से इसमें रोमांच भी बढ़ा और दर्शक भी। पहले इस खेल में पैसा कम था, तो मैच भी कम होते थे। पैसा बढ़ा, तो दर्शकों को लगातार व्यस्त रखने के लिए क्रिकेट बढ़ गया। टेलिविजन आने के बाद इस खेल में बहुत से बदलाव आए और मोबाइल आ जाने से तो इस खेल की कहानी ही बदल गई। इस बीच क्रिकेट देखने और खेलने का तरीका भी बदला। दूसरे शब्दों में कहें, तो क्रिकेट बहुत आधुनिक हो गया। तकनीकी रूप से बदलाव हुए, तो मैचों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई।
هذه القصة مأخوذة من طبعة February 19, 2024 من Outlook Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة February 19, 2024 من Outlook Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं