“इंसान के अंदर का धैर्य ही उस का काम करवाता है” सतराम रमानी
Sarita|November Second 2022
सतराम रमानी की पहचान ट्रैंड से अलग विषय पर फिल्म बनाने वाले निर्देशक की है. अपनी फिल्मों में वे समाज में स्थापित टैबू को तोड़ने का काम करते हैं. वे अब प्लस साइज महिलाओं की लाइफ पर फिल्म ले कर आए हैं.
शांतिस्वरूप त्रिपाठी
“इंसान के अंदर का धैर्य ही उस का काम करवाता है” सतराम रमानी

मारे यहां हर लड़की औरत आएदिन बौडीशेमिंग के चलते ट्रोलिंग का शिकार होती रहती है. इसी के चलते लड़कियों को अपना मोटापा अपने सपनों को पूरा करने में बाधक लगने लगता है. जबकि मोटापे यानी कि बौडी शेमिंग का सपनों से या इंसान की प्रतिभा व कार्यक्षमता से कोई संबंध नहीं है.

इसी बात को रेखांकित करने के लिए फिल्मकार सतराम रमानी फिल्म 'डबल एक्सएल' ले कर आ रहे हैं, जिस में सोनाक्षी सिन्हा और हुमा कुरैशी की अहम भूमिकाएं हैं. सतराम रमानी ने इस से पहले सुरक्षित सैक्स और कंडोम जैसे टैबू वाले विषय पर 'हैलमेट' जैसी फिल्म बना कर शोहरत बटोरी थी. यहां प्रस्तुत सतराम रमानी से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश :

फिल्मकार सतराम रमानी से पूछा कि उन का फिल्मों के प्रति झुकाव कैसे हुआ, तो वे बताते हैं, “मेरे घर का कोई भी सदस्य फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा नहीं है. मैं सिंधी समुदाय से हूं. मेरे पिता का बिजनैस है. लेकिन मेरे पिताजी का थिएटर की तरफ काफी झुकाव रहा है तो वे मुझे बचपन से ही मराठी थिएटर देखने के लिए ले जाया करते थे. जिस के चलते मेरे अंदर थिएटर यानी नाटक देखने व कुछ सीखने की इच्छा बलवती होती रही है. मुझे हर नाटक में एक नया क्रिएशन देख कर अच्छा लगता था. इस तरह मेरा प्रेरणास्त्रोत कहीं न कहीं थिएटर ही रहा." 

फिल्म निर्देशन के लिए लिए ट्रेनिंग को ले कर सतराम बताते हैं, "जलगांव से मैं पुणे पहुंचा, जहां एमआईटी कालेज है. इस कालेज में फिल्म मेकिंग का कोर्स भी होता है. जलगांव में तो फिल्म मेकिंग का जिक्र भी नहीं होता था. उस वक्त तक तो लोगों को यह भी नहीं पता था कि फिल्म मेकिंग भी एक प्रोफैशन हो सकता है पर अब धीरेधीरे हालात बदल रहे हैं. उन दिनों सोशल मीडिया भी नहीं था. जब मैं ने। कुछ रिसर्च की तो मेरी समझ में आया कि मैं एमआईटी जौइन कर लूं तो शायद मेरा कुछ हो सकता है."

هذه القصة مأخوذة من طبعة November Second 2022 من Sarita.

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