पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
Sarita|December Second 2024
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
शिखा
पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन

हम बच्चों को अपने जीवन का मोहरा बना लेते हैं. लगता है कि हर कोई हमारे बच्चे की तारीफ करे. पेरेंट्स खुद दूसरों से कहते हैं कि मेरी तरफ देखो, क्या नायाब चीज है मेरा बच्चा, मेरा बच्चा आईपीएल में गया है, स्कूल की तरफ से बाहर गया है, वह स्विमिंग चैंपियन बन गया है. यानी आज पेरैंट्स चाहते हैं कि उन का बच्चा पढ़ाई के साथसाथ ड्राइंग, पेंटिंग, डांस, सिंगिंग, क्राफ्ट, स्पोट्र्स आदि में भी सब से आगे रहे. इस सब के चलते मातापिता पेरैंटल बर्नआउट की गिरफ्त में आ जाते हैं.

यह आप को उलटवार करता है. बच्चे के बारे में आप सोसाइटी में इतनी बातें करते हैं कि एक दिन वह बच्चा आप के गले की फांस बन जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो वह गले की ऐसी हड्डी बन जाता है जो न निगलते बने न उगलते. दरअसल बच्चे की तारीफ इतनी ज्यादा कर दी जाती है सोसाइटी में कि उसे मैनेज करना एक चैलेंज बन जाता है.

बच्चा है कि आप की अब एक नहीं सुनता, आप पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है. इसलिए बच्चे की नैचुरल ग्रोथ होने दो. उस को खादपानी दो लेकिन अपने को उस पर न्योछावर मत करो. बच्चों के लिए उतना करो जितना जेब इजाजत करे. बच्चों के लिए खुद को पूरी तरह न थकाएं. अगर आप भी अपने बच्चों की देखभाल और पालनपोषण के दौरान थकान व तनाव का अनुभव करते हैं, अपने बच्चों की जिम्मेदारियों व अपेक्षाओं के बीच संतुलन नहीं बना पाते हैं और आप को पर्याप्त आराम व सपोर्ट नहीं मिल पाता है तो समझिए की कमी खुद में ही है. आइए जानें इस सिचुएशन को कैसे हैंडल करें.

बच्चों को न कहना भी सीखे मां

هذه القصة مأخوذة من طبعة December Second 2024 من Sarita.

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