दिल्ली में हुए महाराष्ट्र के पालघर की रहने वाली श्रद्धा वालकर के हत्याकांड से लिवइन रिलेशनशिप पूरे देश में चर्चा के केंद्र में है. श्रद्धा के लिवइन पार्टनर आफताब पूनावाला पर आरोप है कि उस ने श्रद्धा की हत्या कर उस के शव को टुकड़ों में बांट कर अलगअलग जगहों पर फेंक दिया. इस घटना के बाद लिवइन रिलेशनशिप पर पूरे देश में बहस छिड़ गई. इस को अनैतिक और गैरकानूनी बता कर खारिज किया जा रहा है. देश का एक बड़ा वर्ग पहले से ही लिवइन रिलेशनशिप के पक्ष में नहीं था. ऐसे में उसे मौका मिल गया है. वह लिवइन रिलेशनशिप को समाज और घरपरिवार के हित में नहीं समझ रहा. विवाह के सामने इस को अनैतिक ही नहीं, असुरक्षित भी ठहराया जा रहा है.
बदलाव प्रकृति का नियम है और समाज भी इस का अपवाद नहीं है. युवा तेजी से अपने जीवन जीने के अंदाज बदल रहे हैं. विश्व स्तर पर लोग धीरेधीरे विवाहपूर्व सैक्स और लिवइन रिलेशनशिप के विचारों को अपनाते जा रहे हैं. भारत में जैसे ही विवाहपूर्व सैक्स और लिवइन रिलेशनशिप का जिक्र आता है, लोग रूढ़िवादी होने लगते हैं. भारत में लड़का और लड़की के बीच उन संबंधों को ही वैध माना जाता है जिन में दोनों के बीच विवाह, मौजूदा विवाह कानूनों के अनुसार, हुआ हो अन्यथा अन्य सभी प्रकार के संबंधों को नाजायज माना जाता है.
लिवइन रिलेशनशिप की न ही कोई कानूनी परिभाषा है और न ही इस विषय पर अधिकारों को लागू करने से संबंधित कोई कानून है. कुछ मामलों में अदालतों ने निर्णयों के माध्यम से लिवइन रिलेशनशिप को जायज माना है. लिवइन का विरोध करने वाले ही यूनिफौर्म सिविल कोड की मांग कर रहे हैं.
लड़की को यह डर दिखाया जा रहा कि अगर वह लिवइन रिलेशनशिप में रहेगी तो उस का हश्र भी श्रद्धा वालकर जैसा हो सकता है. उस का लिवइन पार्टनर भी उस के साथ ऐसा ही व्यवहार कर सकता है. मुख्य बात यह भी है कि लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़की का साथ उस का परिवार पहले छोड़ देता है, ऐसे में स्थिति खराब होने पर भी उसे पार्टनर का साथ देना पड़ता है.
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