यह सोचना बेमानी और नादानी वाली बात है कि भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर कभी भी कुछ भी बोल देने के नाते बड़बोली हैं. हकीकत तो यह है कि वे औरों से कहीं बेहतर जानती व समझती हैं कि कब कहां कितना और कैसा बोलने से कितनी आग भड़केगी और इस का फायदा कैसेकैसे मिलेगा. अपनी आग लगाऊ वाणी के लिए कुख्यात तेजतर्रार कट्टर हिंदूवादी इस साध्वी ने कर्नाटक के शिवमोगा में कहा, 'अपने घर में हथियार रखो, कुछ नहीं तो सब्जी काटने वाला चाकू तेज रखो, पता नहीं कब कैसे हालात सामने आ जाएं. सभी को अपनी सुरक्षा का अधिकार है. अगर कोई हमारे घर में दाखिल होता है और हमला करता है तो उसे जवाब देने का अधिकार हमें है.'
मौका भी बड़ा मुफीद था. प्रज्ञा ठाकुर ने शिवमोगा में हिंदू जागरण वेदिके के दक्षिण क्षेत्र के सालाना जलसे में कार्यकर्ताओं को उकसाते आगे कहा, 'उन के यहां जिहाद की परंपरा है. अगर कुछ नहीं करते हैं तो लवजिहाद करते हैं. अगर वे प्यार करते हैं तो उस में भी जिहाद करते हैं. हम भी प्यार करते हैं, भगवान से प्यार करते हैं. एक संन्यासी अपने भगवान से प्यार करता है.' आखिर में ‘अत्याचारियों का अंत करो' का आह्वान करते उन्होंने हिंदुओं को जगाने के अपने अनुष्ठान में एक आहुति और दे दी.
कट्टर हिंदूवादियों के इस तरह के भड़काऊ भाषणों में 'उन के' आशय अकसर मुसलमानों और कभीकभी ईसाईयों से होता है. शिवमोगा में उन का अभिप्राय मुसलमानों से था जिन्हें लगेहाथ पापी होने का सर्टिफिकेट भी उन्होंने जारी कर दिया. लेकिन इस के लिए प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से 1,367 किलोमीटर दूर क्यों जाना पड़ा, यह बात वही लोग समझ पाए जिन्हें याद था कि इस साल मई के लगभग ही कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हैं और राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा का यहां मुकम्मल असर हुआ है. लोगों को यह भी समझ आ गया कि भगवा गैंग ने चुनाव अभियान का श्रीगणेश कर दिया है जिस का मुद्दा कट्टर हिंदुत्व ही रहेगा.
आग ही आग
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"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
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शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
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सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
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