उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चारबाग इलाके में शिवा एम्पायर बिल्डिंग है. बिल्डिंग 10 साल से ज्यादा पुरानी है. 4 मंजिली इस बिल्डिंग के बारे में बताया जाता है कि इस के 2 फ्लोर बनाने का नक्शा पास था लेकिन यहां पर 4 फ्लोर बना डाले गए. लोगों ने फ्लैट खरीद लिए. एलडीए यानी लखनऊ विकास प्राधिकरण ने कभी इस बारे में कोई संज्ञान नहीं लिया. लोग आराम से रह रहे थे. अचानक प्रयागराज में उमेश पाल और 2 सिपाहियों की हत्या होती है. मसला अतीक अहमद से जुड़ता है. तब यह पता लगाया जाता है कि अतीक के तार कहांकहां तक फैले हैं.
इस क्रम में पुलिस को यह पता चलता है कि शिवा एम्पायर बिल्डिंग को बनाने का काम बिल्डर मोहम्मद मुसलिम ने किया था, जो अतीक का करीबी बताया जाता है. पुलिस और एलडीए सक्रिय हो गईं. जैसे ही पाया कि इस बिल्डिंग में 2 फ्लोर अवैध बने हैं, उन को गिराने का नोटिस दे दिया गया.
यहां रहने वाले परेशान दरदर भटक कर अपनी मजबूरी बयान कर रहे थे. खरीदने वालों को न तो अतीक से बिल्डर के संबंधों का कुछ पता था न यह पता था कि 2 फ्लोर गलत तरह से बने थे. एलडीए ने अगर बिल्डिंग बनाते समय ही इस को रोका होता तो लोग यहां खरीदते ही नहीं.
कानपुर देहात में मंडौली गांव में कृष्ण गोपाल दीक्षित अपने परिवार सहित झोपड़ीनुमा घर में रहते थे. यह घर सरकारी जमीन पर बना था. इस को तोड़ने के आदेश दिए गए. पुलिस जेसीबी ले कर घर तोड़ने जाती है. झोपड़ी के अंदर कृष्ण गोपाल दीक्षित का बेटा शिवम दीक्षित खड़ा होता है. झोपड़ी में एक तरफ जनरेटर रखा था. शिवम को पुलिस घर से बाहर निकलने को कहती है. कृष्ण गोपाल दीक्षित भी पीछे से हाथ में घासफूस ले कर बाहर निकलते हैं. जैसे ही दोनों लोग झोपड़ी के बाहर निकलते हैं, जेसीबी झोपड़ी को गिराने के लिए बढ़ती है.
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