
15 अगस्त, 2023 को लालकिले की प्राचीर पर झंडारोहण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता को संबोधित कर रहे थे. 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को मनाने के लिए सामने की दीर्घा में देश की जानीमानी राजनीतिक हस्तियों और सम्मानित अतिथियों के बीच देश के उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भी उपस्थित थे.
भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उन की ओर देखते हुए क्षेत्रीय भाषाओं में अदालती फैसले उपलब्ध कराने को ले कर सुप्रीम कोर्ट की सराहना की और धन्यवाद दिया तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी हाथ जोड़ कर मुसकराते हुए उन का अभिवादन किया.
उस दिन चंद सैकंड का यह दृश्य तमाम टीवी चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज था. वहीं कार्यक्रम की समाप्ति पर देश के गृहमंत्री अमित शाह से आमनासामना होने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने हाथ जोड़ कर उन का भी अभिवादन किया तो बड़ अनमने ढंग से गृहमंत्री ने भी हाथ जोड़े और चलते बने.
इस दृश्य को भी तमाम कैमरों ने कैद किया. दरअसल जस्टिस चंद्रचूड़ जब से प्रधान न्यायाधीश की कुरसी विराजमान हुए हैं, पर उन्होंने अपने कई और फैसलों फटकारों से सरकार की नाक में दम कर रखा है. यही वजह है कि कुछ समय पहले जहां सरकार कलीजियम को ले कर सुप्रीम कोर्ट को आंखें दिखाने की कोशिश में थी, वहीं मणिपुर और नूंह की घटनाओं के बाद अब उस से आंखें मिलाने में उसे शर्म आ रही है.
ज्यादा वक्त नहीं बीता है जब कलीजियम को ले कर सरकार और सुप्रीम कोर्ट में जारी रस्साकशी को पूरा देश देख रहा था. उस वक्त भाजपा के कानून मंत्री रहे किरण रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को 'संविधान से परे' और एलियन करार दे दिया था. जज चुने जाने की प्रक्रिया पर भाईभतीजावाद और 'अंकल संस्कृति' का आरोप मढ़ कर उन्होंने सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बाकायदा एक मुहिम शुरू कर दी थी.
फिर अचानक उन्हें कानून मंत्री की कुरसी से उतार कर गृह राज्यमंत्री बना दिया गया. अंदरखाने बात यह थी कि मोदी सरकार समझ गई थी कि रिजिजू की हरकतें सरकार पर भारी पड़ सकती हैं.
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