मौसम में बदलाव हो रहा है. वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. इस के कारण ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं, जिन का पानी जा कर समुद्र में मिल रहा है. इस से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है. अगर इसी रफ्तार से यह सब चलता रहा तो दुनिया के नक्शे से कई शहर मिट जाएंगे, जिन में एक जकार्ता (इंडोनेशिया की राजधानी) बहुत बड़ा नाम है.
जकार्ता का तो अस्तित्व ही मिटता नजर आ रहा है. यहां जकार्ता की बात इसलिए हो रही है क्योंकि इंडोनेशिया अपनी राजधानी बदलने की तैयारी में है.
मनुष्य और जलवायु परिवर्तन
हम सभी ने कभी न कभी अपनी जिंदगी में जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना होगा. ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज, ओजोन लेयर, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की उच्च सांद्रता जैसे शब्दों को सुना होगा. बच्चों ने तो भूगोल में यह सब पढ़ा होगा और आज भी पढ़ रहे हैं. देश और विदेशों में इस की चर्चाएं होती रहती हैं. लेकिन क्या आप को पता है कि यह कितना जरूरी है?
ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती गरम हो रही है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जब वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है तब प्रकृति का विनाशकारी और भयंकर रूप दिखता है, जो अपने साथ सबकुछ तबाह कर ले जाता है. इस के कारण भयंकर तूफान, बाढ़, जंगल में आग, सूखा, भयंकर लू जैसी आपदाएं बढ़ जाती हैं. इस का ताजा उदाहरण आप हिमाचल से ले सकते हैं. इस बार बारिश और बाढ़ के कारण लगभग पूरा हिमाचल डूब गया. करोड़ों की तबाही हुई. न जाने कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई.
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हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.