मेले मामा चाचू बूआ की शादी में जलूल आना
Sarita|November First 2024
शादी कार्ड में जिन के द्वारा लिखवाया गया होता है कि 'मेले मामा/चाचू की शादी में जलूल आना' उन प्यारेप्यारे बच्चों के लिए सब से बड़ी सजा हो जाती है कि वे देररात तक जाग सकते नहीं.
शोभा शर्मा
मेले मामा चाचू बूआ की शादी में जलूल आना

जकल शादियों का सीजन है. कार्ड देने अकसर कोई न कोई आ जाता है. एक पूरा बंडल शादी के कार्डों का रखा हुआ है. उनमें लिखवाया जाता है कि मेले मामा, बूआ या चाचू की शादी में जलूल आना. इस का लौजिक कितना सही है, आइए देखते हैं.

कार्ड आया, ठीक है, भाई हम भी सोचते हैं कि जब इतने आग्रह और प्यार से शादी में बुलाया है तो जरूर जाना चाहिए. इस के लिए कीमती गहने निकाले जाते हैं, पतिदेव के सूट प्रैस करवाए जाते हैं और मेरी बनारसी साड़ी. भई, कोई यह न कहे कि हम शादी के लिए तैयार हुए बिना यों ही मुंह उठा कर चले आए.

फिर ये कीमती गहने, स्टाइलिश ड्रैसेज किस दिन के लिए खरीदे व सहेजे जाते हैं. शादी जैसे फंक्शन में न पहने जाएं और मेकअप, हेयरस्टाइल ऐसे फंक्शन में न बनाए जाएं तो कब बनाएं. ये सब कब काम आएंगे.

कार्ड को अच्छी तरह पढ़ने पर नतीजा निकलता है कि 7 बजे से आप के आगमन तक भोजन के लिए पहुंचना है. सो, हम सैंटवेंट, डिओ लगा कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने चल पड़ते हैं.

मैरिज हौल कई बार दो से 10-15 किलोमीटर दूर तक होते हैं तो अपनी खुद की कार से खुद ड्राइव कर, उम्रदराज लोग हैं तो ड्राइवर खोज कर और अगर फोरव्हीलर नहीं है तो टैक्सी, औटो इत्यादि का इंतजाम कर, 8 बजे का समय ठीक मान कर हम बताए गए मैरिज गार्डन या हौल जा पहुंचते हैं.

शादी वाले घर का एक सदस्य जो वहां गेट पर खड़ा मिल जाता है, हम से हाथ जोड़ कर आग्रह करता है कि हम स्वरुचि भोजन कर लें.

هذه القصة مأخوذة من طبعة November First 2024 من Sarita.

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