कई बार कहा गया है कि उनकी पार्टी ही उन्हें हद में रखेगी, कि उन्हें काम करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी चाहिए होगी, कि कानून को खुल्लमखुल्ला ताक पर रखने वाले उनके काम अदालत में नहीं टिक पाएंगे, कि देश की सरकार इतनी बड़ी और फैली हुई है कि वह केवल एक आदमी के इशारों पर नहीं चल सकती।
सच कहें तो उनके पहले कार्यकाल के अनुभवों ने इनमें से हरेक दावे को गलत साबित नहीं किया। रिपब्लिकन पार्टी ने ज्यादा विरोध नहीं किया और दोनों महाभियोगों में उनके पक्ष में एकमुश्त मतदान किया। किंतु कुछ मुस्लिम बहुसंख्यक देशों से लोगों के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगाने जैसे उनके कुछ बेहद विवादित फैसलों पर अदालत में सुनवाई हुई। उनके कैबिनेट के कई सदस्य चुपचाप अपना काम करते रहे और कम से कम एक ने उन्हें सियासी तौर पर मदद करने के बजाय इस्तीफा दे दिया।
जब 2020 में ट्रंप चुनाव हारे तो इन बातों ने ही हमें यह मानने पर मजबूर किया कि अमेरिकी संस्थाएं अपनी सबसे बड़ी परीक्षा में सफल हो गई हैं। लेकिन जाहिर तौर पर हम गलत थे। संस्थाओं के लिए सबसे कड़ी परीक्षा तब नहीं होती, जब कोई निर्वाचित नेता उन्हें कमतर बनाने की कोशिश करता है। असली परीक्षा तब होती है, जब वह नेता दोबारा चुन लिया जाता है। उस वक्त उन संस्थाओं में शामिल लोग और उन्हें स्वतंत्र बनाए रखने के लिए ऊर्जा खपाने और काम करने वाले लोग हथियार डालने लगते हैं।
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भारत और चीन का द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने पर जोर
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा की।
'चुनाव जीते तो वृद्धों का निःशुल्क इलाज'
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को घोषणा की कि दिल्ली में उनकी पार्टी के सत्ता में लौटने पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के निःशुल्क उपचार के लिए 'संजीवनी योजना शुरू की जाएगी। दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में प्रस्तावित है।
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राजधानी दिल्ली फिर गंभीर प्रदूषण की चपेट में
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को एक बार फिर प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लगातार दूसरे दिन गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक चार दिन के भीतर ही एक्यूआई दोगुने से अधिक पहुँच गया है। बीते 14 दिसंबर को यह जहाँ 193 पर था वहीं 18 तारीख को यह 445 पर दर्ज किया गया, जो इस माह में अब तक सबसे अधिक है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों में ग्रैप-4 की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं।
एसआईएफ से बढ़ेंगे विकल्प
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने तथाकथित 'स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड्स' या एसआईएफ को अधिसूचित किया है और कुछ माह पहले परिकल्पित इस नए परिसंपत्ति वर्ग के नियम कायदों को स्पष्ट किया है।
नेहरूवादी मानवतावाद और भारत का विकास
आजादी के बाद पहले डेढ़ दशक के नियोजित विकास की नीतियों को नेहरूवादी समाजवाद के बजाय नेहरूवादी मानवतावाद कहना बेहतर होगा। विस्तार से बता रहे हैं नितिन देसाई
संस्थाओं की रक्षा है राजनीति की बड़ी चुनौती
लगता है कि अमेरिका को अतिआत्मविश्वास का नतीजा भुगतना पड़ेगा। 2016 में जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार वहां के राष्ट्रपति चुने गए थे तभी से तर्क दिया जा रहा है कि जिस देश की संस्थाएं मजबूत और स्थिर हैं, उस देश की दिशा को स्थायी रूप से बदलने के बहुत कम रास्ते उनके पास हैं।
महामारी के बाद बहुत धीरे उबर रहे हैं लघु और मझोले उद्यम
वित्त वर्ष 2015 में जीडीपी में एमएसएमई की हिस्सेदारी 32.2 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 20 में घटकर 30.5 फीसदी रह गई। महामारी के दौरान वित्त वर्ष 2021 में यह और गिरकर 27.3 फीसदी पर आ गई
ट्रंप की हिटलिस्ट से बचा भारत, 2024 के आंकड़ों से चिंता
भारत कैलेंडर वर्ष 2023 में उन शीर्ष 10 देशों में शामिल नहीं है, जिनका अमेरिका से सर्वाधिक व्यापार घाटा था, लेकिन वह इस सूची में शामिल होने से बाल-बाल बचा है।