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कोविड-19 के इलाज में कारगर प्लाज्मा थेरैपी
भारत में प्लाज्मा थेरैपी से किसी बीमारी से जंग पहली बार शुरू हुई है. विश्व के कई देश इसे अपना चुके हैं और इस के परिणाम भी सकारात्मक निकले हैं. आइए जानें क्या है प्लाज्मा थेरैपी और यह किस तरह कोरोना से लड़ने में कारगर है.
बैंक में मृतक के खाते वारिस के दावे
व्यक्ति के जीवन का कोई भरोसा नहीं है. जो, आज है कल नहीं भी हो सकता. ऐसे में व्यक्ति की संपत्ति को ले कर उस के वारिस कभी बैंक के, तो कभी कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर हो जाते हैं. सो, अपनी मृत्यु से पहले ही व्यक्ति को अपनी संपत्ति से जुड़े फैसले कर देने चाहिए.
रिवर्स माइग्रेशन का संकट कोरोना से भी बड़ा
कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के लिए भारत के पास लौकडाउन एकमात्र रास्ता है. लेकिन इस के बाद बहुत बड़ी संख्या में होने वाला रिवर्स माइग्रेशन बहुत से नए संकटों को जन्म देगा, जिन से निबटने के लिए भारत के पास कोई योजना, कोई सर्वे या कोई ब्लूप्रिंट नहीं है. भयावह बेरोजगारी का यह संकट देश के अंदर तो होगा ही, देश के बाहर से भी आएगा.
"मैं सफलता के मद में कभी चूर नहीं हुआ" अरुण बख्शी
अरुण बख्शी उन लोगों में से एक हैं जो संगीत व अभिनय के क्षेत्र में आज भी सक्रिय हैं. 40 वर्षों के कैरियर के टर्निंग पौइंट्स के अपने अनुभव को उन्होंने विस्तार से बताया.
भारत में इंग्लिश भाषा नहीं रुतबा है
देश में आधुनिक कहलाने की पहली शर्त इंग्लिश बोलना आना हो गई है तो इस की अपनी अलग वजहें भी हैं. लेकिन सरकारी स्तर पर इंग्लिश को अनावश्यक प्रोत्साहन दिए जाने से हिंदी की ज्यादा दुर्दशा हुई है. जानिए, कैसे.
मैरिड लाइफ बनाएं रोमांटिक
शादी के बाद पतिपत्नी पर जैसेजैसे जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ने लगता है वैसेवैसे उन की सैक्स लाइफ पर उस का असर पड़ने लगता है. रोजाना के कामों में व्यस्त हो जाने से उन की सैक्स लाइफ से रोमांटिक लमहे गायब से हो जाते हैं. आइए, जानते हैं कुछ छोटीछोटी ऐक्टिविटी टिप्स, जिन से वे अपने जीवन में रोमांच और रोमांस का भरपूर आनंद ले सकें.
मलेरिया की दवा निर्यात के बहाने इमेज मेकिंग
कोरोना संकट से निबटने के लिए केंद्र सरकार को जो बेहतर प्रबंध करने चाहिए थे, वे वह नहीं कर पाई. अब कुछ देशों को दवा की खेप भेज कर उस ने अपनी इमेज मेकिंग में इजाफा जरूर कर लिया है. पर इस महासंकट से देशवासियों को वह कैसे उबारेगी, यह देखने वाली बात होगी.
भगवान नहीं विज्ञान दिलाएगा कोरोना से मुक्ति
भगवान के नाम पर विज्ञान को नकारने वाला हर तत्त्व आज कोरोना से लड़ने के लिए किसी पर आधारित है तो वह विज्ञान है. विज्ञान न हो तो भगवान का तो क्या, इंसान का भी कोई अस्तित्व नहीं है. आखिर, अब भी
गरीब बच्चे कैसे करें औनलाइन पढ़ाई
जिस मजदूर और मजबूर के पास अपने बच्चे की फीस देने के पैसे नहीं होते, उसे स्कूल भेज वह निश्चित हो जाता है कि उस का बच्चा मिडडे मील से अपना पेट भरने में सक्षम होगा. क्या वह गरीब उस की औनलाइन पढ़ाई के लिए उसे स्मार्टफोन और इंटरनेट उपलब्ध करा पाएगा?
चेस्ट पेन पैनिक अटैक, हार्ट अटैक या कोविड-19 अटैक?
कई लोग कोरोना के इस माहौल में चेस्ट पेन होने से डर रहे हैं कि कहीं वे कोरोना वायरस की चपेट में तो नहीं आ गए हैं, हालांकि चेस्ट पेन होने के एक नहीं कई कारण होते हैं. हो सकता है आप का यह दर्द पैनिक अटैक हो. ऐसे में घबराएं नहीं, डाक्टर से मिल कर इलाज कराएं.
पालघर मौब लिंचिंग बवाल क्यों
पालघर के अमानवीय और बर्बर हादसे का ठीकरा पुलिस के सिर फोड़ कर बचा नहीं जा सकता. दरअसल, मौब लिंचिंग कोई नई बात नहीं है. अकसर दलित मुसलमान ही इस का शिकार होते रहे हैं. इस बार नई बात 2 साधुओं का इस का शिकार हो जाना रही लेकिन हल्ला मचा रहे लोग अपनी गिरेबान में झांक कर देखेंगे तो उन्हें काफी कुछ समझ आएगा...
कोरोना मोरचे पर मरख्यमंत्री जिम्मेदारी और जज्बा
कोरोना के दीर्घकालिक नतीजे जब आएंगे तब हालात कुछ और होंगे, लेकिन अभी इम्तिहान राज्यों के मुख्यमंत्रियों का है कि वे कैसी सहूलियतें मुहैया करा पाते हैं. मुख्यमंत्रियों की ही जिम्मेदारी हो जाती है कि आम लोगों को कम से कम परेशानियां हों और संक्रमण भी कम से कम फैले. आइए, देखें कौन कितने पानी में है.
हड़बड़ी के फैसले महागड़बड़
केंद्र सरकार ने देश में लौकडाउन लागू किया नहीं बल्कि थोपा है जिस के चलते गरीब, मजदूर, शोषित तबके के लोग रोटी के लिए तड़पते रहे.
कोरोना ने माक्र्स की याद दिलाई
देश को बनाने में जो मजदूर अपना खूनपसीना बहाते हैं, वे ही आज अपने यहां परदेशी सरीखे हो गए हैं. कोरोना के चलते देश में लौकडाउन से बेघर हुए मजदूरों की कोई सुध नहीं ले रहा.
नींद न आना बीमारी का खजाना
आधुनिक युग की अर्थव्यवस्था ने ज्यादातर लोगों के कामकाज के टाइमटेबल को बदल दिया है. लौकडाउन की वजह से अब वर्क फ्रौम होम और नाइट ड्यूटी करना आवश्यक सा हो गया है. ऐसे लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है जिन को पर्याप्त नींद नहीं मिल पा रही है और जिस का असर उन के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.
लौकडाउन में साइबर क्राइम बढ़े
कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी के चलते पूरे भारत देश में लौकडाउन के कारण घरों से बाहर न निकलने के कारण अपराध की घटनाएं कम हुई हैं, परंतु साइबर क्राइम के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
घरघर को घेरता कोराना
दुनिया के घरों में कोरोना का डर महसूस किया जा 6 रहा है. लौकडाउन के सहारे भारत में स्थिति फिलहाल काबू में है, लेकिन हर देशवासी दहशत में है, चिंताग्रस्त है. न दिखने वाले इस वायरस से फैलते संक्रमण के दौर में मानव का जीना कैसे व कितना मुहाल हो गया है, पढ़िए इस रिपोर्ट में.
करोड़ों कमाने वाले बौलीवुड कलाकारों की जेबें खाली
लौकडाउन के चलते फिल्म इंडस्ट्री में डेली वेजेस पर काम करने वालों और कोरोना वायरस से संक्रमित पीड़ितों की मदद के लिए किसी बौलीवुड कलाकार ने हाथ नहीं बढ़ाया था, लेकिन जब दक्षिण भारत के कुछ कलाकारों ने पीड़ितों को करोड़ों की राशि दान की तो सोशल मीडिया पर ट्रोल होते देख कुछ बौलीवुड ऐक्टर्स ने थोड़ीबहुत हिम्मत जुटाई, हालांकि कुछ सुपरस्टार अभी भी खामोश हैं
आधुनिकता उम्र की मुहताज नहीं
व्यक्ति को आधुनिक उस की सोच बनाती है और सोच उम्र से नहीं जुड़ी होती. व्यक्ति का दृष्टिकोण, अनुभव, परिस्थितियां उसे उन्मुक्त और समसामयिक बनाते हैं.
योगी कहे जय श्रीराम प्रियंका कहे पहले काम
जिस राज्य का मुखिया हिंदुत्व की दहाड़ खुलेआम करता हो और राज्य की सियासत उग्र हिंदू राष्ट्र के फेर में धंसती जा रही हो वहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आम जनता का ध्यान मूलभूत मुद्दों की तरफ खींच रही हैं.
“स्टंट के पीछे पूरी प्लानिंग होती है "
गोलमाल सीरीज और एक से बढ़ कर एक कौमेडी व ऐक्शन फिल्में बनाने वाले रोहित शेट्टी बड़े परदे के साथसाथ छोटे परदे पर भी छाए रहते हैं. उन की सफल जर्नी की कहानी सुनिए उन्हीं की जबानी.
कोरोना कहर गड़बड़ाती अर्थव्यवस्था
महामारी बन चुके कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से लोगों में दहशत है. बंदी और मंदी से जनमानस कांप रहा है. नौकरी और रोजगार के खत्म होने की आशंका बढ़ती जा रही है. छोटे कारोबारी और दुकानदार ग्राहकों की कमी से छटपटा रहे हैं. कर्ज या लोन ले कर कारोबार संभाल लेने का आसरा भी नहीं रह गया है क्योंकि बढ़ते एनपीए और घोटालों से बैंकों की हालत खस्ता है. जब जेब में पैसा और हाथ में रोजगार नहीं होगा तो निश्चित ही आने वाले दिन बहुत कठिन होंगे.
परीक्षा मांबाप की
परीक्षा को ले कर अभिभावक पैनिक हो जाते हैं. वे डरे रहते हैं कि अगर उन के बच्चे के 90 प्रतिशत से कम अंक आए तो क्या होगा. इस डर में समाहित है भविष्य की चिंता, परिवार की आर्थिक स्थिति, सोशल मीडिया, झूठी इज्जत और अपनी इच्छा, जिसे बच्चों पर थोप कर उन का पूरा बचपन बरबाद किया जा रहा है.
अपने घर को करें सीनियराइज
घर जरूरत की हर सुखसुविधा से युक्त होना चाहिए और यह तब ज्यादा जरूरी हो जाता है जब आप सीनियर सिटिजन की श्रेणी में आ जाएं क्योंकि स्वयं की सुरक्षा आप के लिए प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए.
2020 जनरेशन टीन्ज कैसे करें - लाइफ और टाइम मैनेजमैंट
विज्ञान के बढ़ते प्रभाव से पूरी दुनिया में टैक्नोलौजी एक आम जरूरत बन गई है. हर व्यक्ति, खासकर युवा, इस से जुड़े उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है. टैक्नोलौजी से भरे इस समाज में जहां इस के भरपूर फायदे मिले वहीं कुछ समस्याएं भी देखने को मिलीं, खासकर युवा पीढ़ी को. तो आइए समझते हैं इन से कैसे निदान पाएं.
हर किसी को समय पर पैसे दिए जाएं" - मुकेश छाबड़ा
एक कलाकार फिल्म की जान होता है, उसी से फिल्म को पहचान मिलती है, इसलिए फिल्म के लिए कलाकारों का चयन बेहद जरूरी काम है. बौलीवुड में फिल्म की कहानी और किरदार के अनुरूप कलाकार का चयन करने का काम किया कास्टिंग डायरैक्टर मुकेश छाबड़ा ने. प्रतिभाओं की तलाश की मुहिम की यह शुरुआत कैसे हुई, आइए जानें.
विहिप के कब्जे में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
केंद्र सरकार ने अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट नामक अलग ट्रस्ट का गठन कर दिया. इस में विहिप के लोगों को उच्च पदों पर रख कर उस की इच्छा को पूरा कर दिया गया. इस ट्रस्ट में शामिल होना देश के संत समाज के लिए गौरव की बात थी. ट्रस्ट में विहिप के समर्थक लोगों को जगह दे कर सरकार ने संत समाज को झटका दे दिया है.
फ्लू से बचोगे तो कोरोना से बचोगे
महामारी बनते कोरोना वायरस से दुनियाभर में लोग डरे हुए हैं. कैसे बचें इस से, आइए, जानते हैं
फेकबुक से मुझे बचाओ
भई जैसा नाम वैसा काम. अब फेकबुक में फेस की फोटो नहीं डाली तो क्या डाली. फिल्टर कैमरा, टेढ़ी गरदन, होंठ मिचका कर कर दो क्लिक. लेकिन बीमारी की हालत में पोज देना, तौबा, भई मार डाला हमें इस फेकबुक ने.
नमस्ते TRUMP का मतलब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरा सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोस्ती निभाने के मकसद से रहा या राजनीतिक हित साधने के लिए या फिर अपने निजी कारोबारी हितों को बढ़ाने के लिए रहा? क्या भारत को या भारतवासियों को इस से कुछ लाभ हुआ?