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ऐसी तबाही में बापूजी ने हजारों की जान बचायी
सन् १९९९ की घटना है। ओड़िशा के समुद्रतट पर पारादीप बंदरगाह के निकट बसे कुजंग गाँव में मेरा होटल था। ओड़िशा में खतरनाक तूफान (super cyclone) आया था।
व्यवहार में ये ५ बातें लाओ, फिर देखो...
अपने अल्प जीवन में मनुष्य ऐसा काम करे कि चौरासी-चौरासी लाख योनियों के बंधन कट जायें, ऐसा काम न करे कि चौरासी लाख योनियों में भटकता रहे, दुःखी होता रहे। जिसको अंतःकरण की शुद्धि करनी है उसको व्यवहार में ५ बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
शारीरिक-मानसिक आरोग्य हेतु संजीवनी बूटी : पैदल भ्रमण
कैसा भ्रमण है लाभदायी?
हुई किडनी की भयंकर बीमारी लेकिन गुरुकृपा रही प्रारब्ध पर भारी
मुझे बी.पी. व कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने की शिकायत रहती थी । १९९९ की बात है । पूज्य बापूजी रजोकरी आश्रम में पधारे थे। मैं वहाँ गया तो बोले : \"सुन, तू खान-पान में लापरवाही करता है । तेरे गुर्दों की दशा ठीक नहीं है। तू पुनर्नवा (साटोड़ी) का सेवन शुरू कर दे तो गम्भीर स्थितियों में भी बच निकलेगा।\"
नमस्कार क्यों ?
(अंक ३५९ से आगे)
अब 'आर बेला नाई'
कोलकाता की एक घटना है। किसी सेठ के यहाँ दूध देनेवाली ग्वालिन आती थी। उसने दूध देने के बाद मुनीम से पैसे माँगे। मुनीम ने कहा : \"अभी थोड़ा हिसाब कर रहा हूँ, बाद में आना।”
ऐसे महापुरुष मिल जायें तो कहना ही क्या !
आप सभीको मेरे परमात्मस्वरूप पूज्यपाद भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी प्रभु के अवतरण दिवस की खूब-खूब बधाई!
आनंद-आहाद, उत्साह व आरोग्य प्रदाता होलिकोत्सव
होली पर्व : ६ से ८ मार्च
उनके हरानेवाले दाँवों में भी छुपी होती है हमारी जीत !
एक लड़का संयमी था । उसने अपने पहलवान गुरु से खूब मल्ल - विद्या सीखी। गुरु ने उसकी पीठ ठोक दी : \"बेटा ! जा, विजयी भव।\"
विश्वमानव के लिए पूज्य बापूजी का हितभरा संदेश
ऐसा है तुलसी का प्रभाव !
स्वास्थ्य - रक्षा व शारीरिक सुडौलता दायक मोटे अनाज
मोटे अनाज अत्यंत पोषक, पचने में तथा उगाने में आसान होते हैं। ये कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं। इनकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की भी जरूरत नहीं पड़ती इसलिए ये हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी अच्छे हैं। मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, मकई, कंगनी, कुटकी, कोदो, सावाँ आदि का समावेश होता है।
गणेशजी प्रथम पूजनीय क्यों ?
(मातृ-पितृ पूजन दिवस पर विशेष )
सूरज जब गर्मी करे तब बरसन की आस
योग में, भक्ति में प्रवेश करनेवाले साधकों को प्रारम्भ में किसीके जीवन-चरित्र द्वारा अथवा किसीके सत्संग के द्वारा, किसीकी मुलाकात के द्वारा अलौकिक कुछ-न-कुछ लाभ लाभ होने लगता है तो उनकी श्रद्धा बँधती है और जब श्रद्धा बँधती है और यात्रा करने लगते हैं तो बीच में विघ्न आ जाते हैं - यश के, मान के, अहंकार सजाने के।
उत्तम स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है ईश्वरीय शक्ति का अवलम्बन !
(गतांक से आगे)
कैसी अहेतुकी करुणा-कृपा बरसाते हैं मेरे गुरुदेव !
पूज्य बापूजी के जीवन-प्रसंग
शिव-तत्त्व की महिमा व उपासना की विधि
महाशिवरात्रि : १८ फरवरी
सच्चा प्रेम दिवस कर रहा सबका जीवन खुशहाल
यह ईश्वर की अनुपम करुणा-कृपा है
देश के लिए खतरा है जबरन धर्मांतरण
उच्चतम अदालत का गम्भीर इशारा
ऐसी निष्ठा व सजगता करती बेड़ा पार
नरेन्द्र श्री रामकृष्ण परमहंस के पास दक्षिणेश्वर में जाया करते थे । नरेन्द्र को वे बहुत स्नेह करते थे। एक बार रामकृष्ण के आचरण ने करवट ली, नरेन्द्र आये तो उन्होंने मुँह घुमा लिया।
इस झमेले के दुःखों से पार होना हो तो...
जो लोग सोचते हैं, 'मैं परेशान हूँ, मैं दुःखी हूँ' वे अपने-आपके बड़े खतरनाक दुश्मन होते हैं।
जीवन को साधनामय बनाने की कला
साधक परमात्म-पथ पर आगे निकलनेवाले को मदद करते हुए खुद भी आगे जाता है।
सम्पूर्ण स्वास्थ्य का आधार : आयुर्वेद
(अक्टूबर २०२२ के अंक में हमने पढ़ा कि किस प्रकार पूज्य बापूजी ने आयुर्वेद का ज्ञान देकर एवं सक्रिय रूप से प्रचार-प्रसार करके आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाया। अब आगे...)
रोग का रहस्य और निरोगता का मूल
(अंक ३५८ का शेष)
मैं भक्तन को दास
एक संत थे जिनका नाम था जगन्नाथदास महाराज। वे भगवान को प्रीतिपूर्वक भजते थे। वे जब वृद्ध हुए तो थोड़े बीमार रहने लगे।
अनमोल है सत्संग
'मानव सेवा संघ' के संस्थापक स्वामी शरणानंदजी से किसीने पूछा : \"आप सत्संगसमारोह तो करते हैं परंतु उस पर इतना खर्चा !”
सेवा के लिए यह सुवर्ण युग है
समाज तक सत्संग पहुँचानेवाले धनभागी हैं!
उत्तम स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है ईश्वरीय शक्ति का अवलम्बन
('रोग-निवारण की अनंत शक्ति आपमें ही है !’ गतांक से आगे)
तुलसी में भगवान नारायण का निवास
(तुलसी पूजन दिवस : २५ दिसम्बर पर विशेष)
ऐसे दुःख पर करोड़ों-करोड़ों सुख कुर्बान
जो गुरु के वचनों को ठीक ढंग से स्वीकार करे वह शिष्य है। जो गुरु के वचन में दोष देखे वह शिष्य 'शिष्य' नहीं कहा जाता, वह कृतघ्न कहा जाता है, कुशिष्य कहा जाता है।
मकर संक्रांति का महत्त्व और लाभान्वित होने की विधि
मकर संक्रांति, उत्तरायण : १५ जनवरी