CATEGORIES
Kategorien
दलहनी फसलों का जैविक खेती में महत्व
दलहन किसानों के लिए कम लागत का सौदा है क्योंकि इनके लिये नत्रजन उर्वरक खरीदने की जरूरत नहीं है। इसके अतिरिक्त दलहनी फसलों में कीटनाशकों का इस्तेमाल भी ना के सामान होता है।
गाभिन भैंस की इस तरह करें देखभाल
पशुपालकों को अपने पशुओं की देखभाल करने में सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। खास करके उनके गाभिन होने पर। ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं कि कैसे पशुपालक अपनी गाभिन भैंस का ध्यान रख सकते है।
गुलाबी सुंडी की वृद्धि को रोकने के लिए आई मेटिंग डिसरप्शन तकनीक
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विभाग नये आविष्कार कर रहा है।
कैसे करें गाजर घास का एकीकृत नियंत्रण
गाजर घास की पत्तियों का रस अलसी के बीजों की अंकुरण क्षमता को बढ़ाता हैं। अतः इस हानिकारक पौधे का उपयोग बीज अंकुरण हेतु किया जा सकता हैं। पत्तियों से ही प्राप्त अर्क का उपयोग पिस्सू को दूर करने में किया जा सकता हैं।
केंद्र सरकार नहीं कर रही कृषि पर खर्च, राज्य सरकारों पर पड़ रहा है बोझ
फाउंडेशन ऑफ अग्रेरियन स्टडीज (एफएएस) के अध्ययन में यह दावा किया गया है कि पिछले एक दशक के दौरान कृषि पर भारत का सार्वजनिक खर्च घट गया है।
नींबू वर्गीय फसलों के रोग एवं उनकी रोकथाम
फसल सुरक्षा
पशुओं के हरे चारे का विकल्प बन सकती है नैपियर घास - उत्पादन तकनीक एवं प्रबंधन
पशु चारा
पशुओं मंखुरपका-मुंहपका रोग, कारण, लक्षण, उपचार एवं बचाव
पशुपालन
जैविक खेती का सूत्रकृमि प्रबंधन में योगदान
जैविक खेती
धान की खेती में नवीनतम प्रजातियों की भूमिका
खरीफ फसल
एलोवेरा की खेती भी किसानों को लाभ देती
औषधीय फसल
ग्रीष्मऋतु में आहार-विहार
पौष्टिक भोजन
'गन्ना उद्योग : चुनौतियां एवं संभावनाएं'
गन्ना उद्योग
उचित स्प्रे टैक्नॉलोजी समय की आवश्यकता
स्प्रे करने के लिए सही नोज़ल का चुनाव एवं उसका सही प्रयोग करना बहुत आवश्यक है। दवाओं को सही स्थान पर पहुंचाने का कार्य छिड़काव करते समय प्रयोग की गई नोजलों पर निर्भर करता है। सही छिड़काव करने के लिए नोज़लों की बहुत बड़ी अहमियत है। स्प्रे करते समय नोजलों का सही चुनाव होना बहुत आवश्यक है।
फलदार पौधों में फल-फूल गिरना व फल फटने की समस्या से बचाव
फलदार पौधों में फल-फूल गिरने अथवा झड़ने की समस्या प्राय: देखी गई है। इस समस्या के प्रमुख कारक जलवायु में परिवर्तन, सिंचाई अथवा मृदा में नमी के असंतुलन, पोषक तत्वों की पौधों में कमी, कीट एवं बीमारियों का प्रकोप तथा अत्याधिक फलन आदि है।
खाद्यान्न की बंपर पैदावार बनेगी संजीवनी
खाद्यान्न की बंपर पैदावार से खाद्य वस्तुओं की महंगाई को थामने में मदद मिलेगी। चावल और गेहूं के पर्याप्त अनाज के अलावा दालों के पर्याप्त उत्पादन का अनुमान है।
वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले - डॉ. फिलिप नेल्सन
विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता एवं परदू विश्वविद्यालय में शोल चेयर प्रोफैसर फिलिप नेल्सन ने अपना खाद्य विज्ञान व्यवसाय 1961 में टमाटर प्रोसैस्सिंग प्लांट में बतौर प्लांट मैनेजर के तौर पर शुरू किया था।
सास- बहू ने मिलकर बदले खेती के मायने चमेली देवी व अनीता जाखड़
सास-बहू ने लहसुन की खेती में मिलकर बंपर पैदावार लेकर खेती के मायने ही बदल दिये।
मध्य प्रदेश में गेहूं की बढ़ती मांग से महंगा बिक रहा है गेहूं
मध्य प्रदेश भारत में गेहूं के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। राज्य में विशेष रूप से उगाई जाने वाली शरबती और कठिया (दुरुम) जैसी गेहूं की किस्मों की मांग मौजूदा संकट के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में गेहूं की फसल में कमी के कारण भी मध्य प्रदेश में कीमतें अधिक हैं।
भारत में गेहूं निर्यात के लिए दबाव ?
भारत की तरफ से गेहूँ का निर्यात एवं पाबंदी लगाने के बाद कई देशों में हाहाकार मच गई है। भारत के निर्णय के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूँ के मूल्य बढ़ने लगे हैं। अमेरिका ने भी भारत को इस निर्णय पर नजरसानी करने की अपील की है।
पानी की बचत के लिए धान बिजाई तकनीकें
धान की बिजाई कद्दू किये खेतों में की जाती है जिससे पानी की बहुत बर्बादी होती है। पानी का संकट बहुत गहरा होता जा रहा है, ऐसे में सरकारों की ओर से कम पानी लेने वाली तकनीकों को उत्साहित करने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता भी दी जा रही है ताकि किसान पानी बचाने के लिए अपना योगदान डालें।
खून-पसीने से अर्जित पूंजी में सेंध लगाते अपराधी
देश का मजदूर किसान तिनका-तिनका जोड़कर कुछ ही जमा पूंजी जोड़ पाता है। लेकिन साइवर अपराधी चंद क्षणों में उसकी सारी पूंजी उड़ा लेते हैं। हम भारत को आर्थिक ताकत बनाने की बातें अवश्य करते हैं। लेकिन हमारे मेहनतकश देशवासियों की आर्थिक कमर तोड़ने वाले अपराधियों के प्रति हमारी विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका तीनों ही अब तक तमाशाबीन ही है।
उच्च गुणवत्ता की गोबर की खाद बनाने की विधि
सदियों से किसान पुशओं के मलमूत्र व घर तथा खेती के अवशेषों को खेती में खाद के रूप में प्रयोग कर रहा है। परन्तु यह देशी खाद उच्च गुणवत्ता का न होने के कारण जमीन की उपजाऊ शक्ति को ज्यादा नहीं बढ़ाता है।
कैसे करें- कद्दू वर्गीय सब्जियों व फलों में रोगों व कीटों की रोकथाम
कद्दू वर्गीय सब्जियों व फलों को भारत वर्ष के लगभग सभी प्रान्तों में उगाया जाता है। इनके फल व सब्जियों का प्राचीन काल से ही पौष्टिकता तथा रोगों की रोकथाम के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।
आज के समय में सब्जी बगीचा की आवश्यकता एवं लाभ
कुछ क्यारियों में एक साथ दो फसलें या एक फसल के बीच में दूसरी फसल अंर्तवर्तीय फसलों के रूप में लगाई जा सकती है। इस प्रकार सब्जी बगीचा की सहायता से संतुलित पोषण को प्राप्त किया जा सकता है साथ ही अतिरिक्त उत्पादन को बेचकर लाभ कमाया जा सकता है।
मौसमी परिवर्तन प कृषि उत्पादन के लिए चुनौती
जलवायु में होने वाले ये परिवर्तन ग्लेशियर व आर्कटिक क्षेत्रों से लेकर उष्ण-कटिबंधीय क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन ऐसा कारक है जिससे प्रभावित कृषि अपना स्वरूप बदल लेती है और इस पर निर्भर लोगों पर खाद्यान्न एवं पोषण सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है।
नींबू जाति के फल वृक्षों में कीट व सूत्रकृमि प्रबंधन
फसल सुरक्षा - हरियाणा
मृदा लवणता और इसके प्रबंधन
मृदा प्रबंधन - हरियाणा
चने की फसल को रोगों से कैसे बचाएं
फसल सुरक्षा - हरियाणा
धान की जैविक खेती
खाद्य फसल - उत्तरप्रदेश