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शकरकंदी की खेती से किसानों को होगा भारी मुनाफा
भारत में भारी मात्रा में शकरकंद की खेती होती है। यह खाने योग्य, चिकनी त्वचा और आकर में लम्बी और थोड़ी मोटी होती हैं। गहरे लाल रंग वाली स्वादिष्ट शकरकंद आमतौर पर दक्षिणी क्षेत्रों में उगाई जाती हैं, क्योंकि उन्हें चार महीने के गर्म मौसम की आवश्यकता होती है।
गेहूँ के मामा खरपतवार नियन्त्रण के प्रभावी उपाय
हमारे देश की तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या और उनकी खाद्यान्न पूर्ति की समस्या का समाधान प्रति इकाई क्षेत्र, समय व साधनों के समुचित प्रयोग से अधिक से अधिक उत्पादन लेना संभव है। गेहूँ एवं धान खाद्यान्न की ऐसी फसलें हैं, जिनमें गरीबी और भूखमरी की समस्या से लड़ने की अदभुत क्षमता है। देश की बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वर्ष 2030 के अन्त तक 28.4 करोड़ टन गेहूँ की आवश्यकता होगी। इसे हमे प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण, भूमि, जल एवं श्रमिक कमी तथा उत्पादन अवयवों के बढ़ते मूल्य के सापेक्ष प्राप्त करनी होगी। उत्तर प्रदेश के वर्ष 2001-02 से वर्ष 2016-17 के गेहूँ उत्पादन एवं उत्पादकता के आंकड़ों से स्पष्ट है कि इसमें एक ठहराव सा आ गया है।
दूधारु पशुओं में तपेदिक रोग
वर्तमान में पशुपालन एक सहायक धंधा न होकर, रोजगार प्राप्ति का मुख्य साधन बनता जा रहा है। पशुपालन को रोजगार के रूप में अपनाकर, पशुपालक अपनी आजीविका कमा रहे हैं। पशुपालन में नुकसान का एक बड़ा कारण कीटाणुओं (जीवाणु, विषाणु, आदि) से होने वाली बीमारियां हैं। इन बीमारियों में तपेदिक/ट्यूबरकुलोसिस/टीबी एक महत्वपूर्ण रोग है जिसे क्षय रोग भी कहा जाता है। यह रोग मनुष्यों में भी पाया जाता है। सामान्यतः पशुओं में यह रोग माइकोबैक्टेरियम बोविस तथा मनुष्यों में माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु से होता है। दोनों प्रजातियां पशुओं एवं मनुष्यों में क्षय रोग उत्पन्न करने में सक्षम हैं। क्षय रोग अर्थात तपेदिक या टी बी एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है। यद्यपि इस रोग से गाय, भैंस और मनुष्य अधिक प्रभावित होते हैं। परंतु सूअर, बिल्ली, घोड़ा, स्वान, भेड़, बकरी आदि तथा जंगली पशु भी प्रभावित होते हैं। यह रोग पक्षियों में भी देखने को मिलता है। यह एक बहुत ही खतरनाक पशुजन्य अर्थात जूनोटिक रोग है।
फल मक्खी के प्रकोप से फलों को कैसे बचाएं
हमारे फलों को फल मक्खियों से कैसे बचाया जाए, इस बारे में एक दिलचस्प पठन
कृषि कानूनों की वापसी और बदलता परिदृश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की तो ऐसी तमाम टिप्पणियां सामने आई जिनमें इस बात की व्याख्या की गई कि भारतीय कृषि के लिए ये निर्णय क्या मायने रखते हैं। आमतौर पर यही कहा गया कि नए कानूनों को वापस लेना कृषि सुधारों के लिए झटका है और सरकार को ऐसा तरीका निकालना चाहिए ताकि ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को बिना राजनीतिक विरोध के लागू किया जा सके।
मशरूम के पौष्टिक एवं औषधीय गुण
मशरूम एक विशेष प्रकार का कवक है। इसका उपयोग अनेक प्रकार से ताजा व सुखाकर किया जाता है। विश्व भर में मशरूम की लगभग 14,000 प्रजातियां पायी जाती हैं। इनमें से 3,000 खाने योग्य तथा 300 से के करीब औषधीय गुणों से युक्त हैं। साधारणत: श्वेत बटन मशरूम को ही मशरूम के रूप में जाना जाता है। इसके फल में डंठल व टोपी के अलावा गलफड़ों में सूक्ष्म बीजाणु पाए जाते हैं, जो कवक को एक से दूसरी जगह फैलने में सहायता करते हैं। विश्व के कुल मशरूम उत्पादन यानी लगभग 40 मिलियन मीट्रिक टन में से चीन लगभग 33 मिलियन मीट्रिक टन अकेले पैदा करता है, जो कि 80 प्रतिशत से अधिक है। भारत में इसका वार्षिक उत्पादन मात्रा 1.55 लाख मीट्रिक टन है। दुनिया भर में इसका सेवन प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 2-3 कि.ग्रा. है, जबकि चीन में 2022 कि.ग्रा. तथा भारत में मात्रा 70-80 ग्राम है।
आलू में लगने वाले प्रमुख रोग एवं नियंत्रण पाने का आसान तरीका
आलू एक प्रकार की सब्जी है, जिसे वनस्पति विज्ञान की दृष्टि से एक तना माना जाता है। यह गेहूं, धान और मक्का के बाद सबसे ज्यादा उगाया जाता है। आलू की खेती (Potato Farming) भारत में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में होती है। इसे जमीन के नीचे पैदा किया जाता है। आलू के उत्पादन में चीन और रूस के बाद भारत का तीसरा स्थान है।
आधुनिक कृषि तथा पर्यावरण
बढ़ती जनसंख्या और भूखमरी ने खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने हेतु तत्काल और कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता पर बल दिया जिसके परिणामस्वरूप हरित क्रांति उभरकर सामने आई। देश में हरित क्रांति 1960 के दशक में परम्परागत कृषि को आधुनिक कृषि तकनीकी द्वारा प्रतिस्थापित होने के पश्चात आई। हरित क्रांति की शुरूआत 1966-1967 में प्रमुख रासायनिक उर्वरकों का उपयोग लगभग 7 किग्रा. प्रति हैक्टेयर था, जो 2018-2019 में बढ़कर 123.4 किग्रा. प्रति हैक्टेयर हो गया।
सब्जी की फसलों में खरपतवार नियंत्रण
हरियाणा के शहरी इलाकों या उनके साथ लगते गांवो में काफी मात्रा में सब्जियाँ उगाई जाती हैं। प्रांत में मुख्यत : आलु, प्याज, लहसुन, मटर, भिण्डी, टमाटर, हल्दी, बैंगन, पत्तागोभी, मेथी व फूलगोभी की काश्त ज्यादा की जाती है।
हाइड्रोपोनिक्स-एक नई तकनीक
हाइड्रोपोनिक्स प्रोजेक्ट की सफलता सही हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर निर्भर करती है। हार्डवेयर में परियोजना के सभी बुनियादी ढांचे जैसे ग्रीनहाउस, बढ़ती प्रणाली, सिंचाई प्रणाली, फॉगिंग प्रणाली, स्वचालन प्रणाली, छाया जाल आदि शामिल हैं और सॉफ्टवेयर में फसल उगाना शामिल है जैसे तापमान, आर्द्रता, सूर्य के प्रकाश, पोषक तत्व नुस्खा, ईसी, पीएच, पानी का तापमान आदि।
गेहूँ की अधिक पैदावर लेने के वैज्ञानिक तरीके
भारतीय कृषि का वर्तमान व भविष्य, बहुत हद तक कृषि अनुसंधान व विस्तार पर निर्भर है। कृषि विस्तार, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं एवं किसानों के बीच की एक अहम कड़ी है। पिछले कई वर्षों से, गेहूँ उत्पादकता में कुछ ठहराव सा देखने को मिला है, जो कृषि प्रसार व वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती बन गया है।
बीजीय मसाला फसलों की उत्पादन तकनीक एवं आर्थिक महत्व
भारत मसाला उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है तथा इसे 'मसालों की भूमि' के नाम से जाना जाता है। इन मसालों के औषधीय गुणों व खुशबू के कारण विश्वभर के व्यापारी भारत की तरफ आकर्षित होते हैं।
मशरूम में लगने वाले कीट-बीमारियाँ एवं उनका प्रबन्धन
मशरूम जिसे आमतौर पर खुम्ब या छतरी कहा जाता है जो "कवक" की एक विशिष्ट प्रजाति है। मशरूम की खेती पश्चिमी प्रदेशों एवं उत्तरांचल के अलावा अब पूर्वांचल में भी व्यावसायिक स्तर पर की जाने लगी है। आमतौर पर इसकी खेती पूरे वर्ष की जाती है, परन्तु अधिकतर मात्रा में अगस्त-सितम्बर से लेकर फरवरी-मार्च तक किया जाता है।
कृषि व्यापार में इंटरनेट मंडीकरण का महत्व
सूचना क्रांति ने मानवीय जीवन के लगभग हर पहलू को छूआ है। आगामी समय में सूचना क्रांति की आर्थिक, सामाजिक एवं व्यापारिक ढांचों पर गहरी छाप छोड़ने की उम्मीद है। सूचना क्रांति में अनेक प्रौद्योगिकियों का योगदान है जैसे कि कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल फोन इत्यादि।
भारतीय कृषि में मौसम-एक जुआ
कृषि एक जुआ है, क्योंकि कृषि पूर्ण रूप से मौसम पर निर्भर होती है। भारतीय कृषि सदियों से अधिकांशत मौसम और मानसून की विशेषताओं के मीनाज पर निर्भर है।
पराली प्रबंधन एवं गेहूं की बुआई में मशीनों की भूमिका
पराली प्रबंधन के मौजूदा विकल्पों को देखा जाए तो इसका यथास्थान प्रबंधन ही सबसे उपयुक्त विकल्प है जो कि पराली प्रबंधन के साथसाथ मृदा की उर्वरा शक्ति को बरकरार रखने या वृद्धि करने में सहायक है।
जैविक पोल्ट्री उत्पादन
पोल्ट्री राशन में इसका उपयोग सीमित है क्योंकि यह महंगा है और साथ ही जैविक उत्पादों को फिश टेंट्स मिलते हैं। अंकुरित अनाज विटामिन का एक अच्छा स्रोत हैं और सिंथेटिक एमिनो एसिड को प्रतिस्थापित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
गेहूँ में खरपतवारों का सभ्य प्रबंधन जरूरी...
गेहूँ में खरपतवारों पर काबू करने के लिए समय पर योजनाबंदी और सचेत रहने की ज़रूरत है। इस संबंधित किसानों को स्वयं ध्यान रखने की ज़रूरत है कि खरपतवारों पर काबू करने के लिए कौन-कौन से खरपतवारनाशकों का प्रयोग करना ज़रूरी है। कौन-कौन से खरपतवारों का प्रकोप उनके खेतों में है।
सरसों की खेती ऐसे करें उत्पादन में बढ़ोतरी
सरसों की खेती : इस साल सरसों के भावों में हुई बढ़ोतरी से किसानों का सरसों की खेती की ओर रूझान बढ़ रहा है। इससे इस आने वाले सीजन में किसान अधिक क्षेत्रफल पर इसकी बुवाई कर सकते हैं। ऐसी उम्मीद है। इस बार सरसों उत्पादक राज्यों सरसों की खेती का रकबा बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए कि इस सीजन सरसों के भाव ऊंचे रहे जिससे किसानों को भी इसे बेचने पर काफी फायदा हुआ। इससे उत्साहित किसान अब सरसों की खेती पर अपना ध्यान बढ़ा सकते हैं। आगे भी उम्मीद की जा रही है कि सरसों के भावों में तेजी बनी रहेगी। इससे किसानों को सीजन में सरसों की फसल से लाभ होगा।
बछड़े/बछियों को स्वस्थ रखने हेतु सुझाव
आज की बछड़ी या बछड़ा कल की होने वाली गाय/भैंस या बैल है। अगर जन्म से ही बछड़े या बछड़ी की देखभाल अच्छे से की जाए तो वह भविष्य में अच्छी गाय-भैंस या बैल बन सकते हैं। इसलिए शुरूआती दौर में इनकी देखभाल, इनके स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
टमाटर का सेवन और स्वास्थ्य लाभ
परिचय : टमाटर विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी है। इसका वानस्पतिक नाम लाइकोपर्सिकन एस्कुलेंटम मिल है और वर्तमान समय में इसे सोलनम लाइकोपर्सिकम कहते हैं। टमाटर जितना देखने में अच्छा लगता है, उतना ही वह खाने में स्वादिष्ट भी है और स्वास्थ्यवर्धक भी।
भारतीय कृषि का गिरता स्तर एवं सुधार के प्रयास
भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा इसके इतिहास में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है। पुरातन काल से ही कृषि का भारतवासियों के जीवन में एक विशेष महत्व रहा है।
फूलगोभी की वैज्ञानिक खेती
सब्जियों में फूलगोभी का विशिष्ट स्थान है।
सहकारिता की शक्ति एवं कृषि विकास
कृषि व्यवसाय को अब एक व्यापारिक इकाई के तौर पर देखा जा रहा है जिसमें बिजाई, उत्पादन से लेकर मंडीकरण तक का सफर संगठित हो रहा है। ऐसे में किसानों की आपसी सांझ ही कृषि आमदनी बढ़ा सकती है जैसे कि पहले लेख में कहा गया है कि हमें आपसी भाईचारे की साझ की शक्ति को पहचानना पड़ेगा। संगठित होकर संयुक्त व्यापारिक ढांचे पैदा करने पड़ेंगे।
धान की कटाई और भंडारण कैसे करें?
देश की एक बड़ी आबादी का मुख्य खाना चावल ही है, लिहाजा चावल की जरूरत हमेशा होती है। इसीलिए धान के भंडारण की और भी अहमियत बढ़ जाती है, ताकि वह लंबे अरसे तक महफूज रह सके।
तेल बीजों की आत्मनिर्भरता के लिए सरसों की खेती
गेहूँ के मुकाबले सरसों एवं दालों की खेती पर खर्च भी कम आता है और दालें हवा बीच की नाईट्रोजन भी मिट्टी में फिक्स करती हैं। इसके साथ ही सरसों का तेल निकलवा कर एवं दालों की सफाई/दलायी करवा कर भी अधिक आमदनी प्रात की जा सकती है जो आमदनी के इस मामूली अंतर को पूरा कर सकती है।
ड्रिप (टपक) सिंचाई द्वारा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग
ड्रिप (टपक) या बूंद-बूंद सिंचाई, सिंचाई की एक ऐसी विधि है जिसमें पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में, कम अन्तराल पर सीधा पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। टपक सिंचाई के बढ़ते उपयोग के साथ यह जानना जरूरी हो जाता है कि कौन-कौन से रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किस प्रकार इस विधि द्वारा किया जाना चाहिए।
टमाटर फसल के मुख्य कीट समस्या तथा समाधान
किसान भाईयों से निवेदन है कि सब्जियों में कीट प्रबन्धन के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही कीटनाशकों का प्रयोग करें। टमाटर में मुख्य रूप से निम्न कीटों का आक्रमण होता है।
आलू उगायें भरपूर लाभ कमायें
खुदाई उपरान्त छिलका मजबूत करने हेतु आलूओं को छायादार स्थान पर रखें। कटे-फटे, खराब तथा सड़ेगले आलूओं को आकार के अनुसार अलग-अलग वर्गों में छांट कर बोरियों में भर लें। उचित समय पर जब बाजार भाव ज्यादा मिले आलू को बेचकर भरपूर लाभ कमायें।
समन्वित कृषि अपशिष्ट प्रबंधन
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसकी अधिकतर जनसँख्या गाँवों में निवास करती है। यहाँ पर अनेक प्रकार के खाद्यान्नों का उत्पादन होता है। वास्तव में खाद्य पदार्थों का सीधा सम्बन्ध जनसँख्या पर होता है।