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जीन के द्वारा पशुओं में तुरंत रोगों का पता लगाया जा सकता है
जानवरों की पहचान करने के बाद, आगे की जांच में उन प्रभावों पर प्रकाश डाला गया जिस पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया था। प्रमुख अध्ययनकर्ता और मैसी के एएल रे सेंटर ऑफ जेनेटिक्स एंड ब्रीडिंग में पीएच.डी. छात्र एडवर्डो रेनॉल्ड्स कहते हैं ये बहुत ही रोमांचक खोज है।
गन्ने की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए इन बारीकियों का ध्यान रखें किसान भाई
गन्ना प्रदेश की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है। उत्तर प्रदेश में 22.99 लाख हैक क्षेत्रफल में गन्ना की खेती होती है। वर्तमान में अधिसूचित गन्ना उत्पादकता 66.47 मीट्रिक टन प्रति हैक को 73 मीट्रिक टन प्रति हैक प्राप्त करने हेतु विभाग द्वारा कई कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।
कम से कम समर्थन मूल्य एक मूल्यांकन
कमिशन केवल कम से कम कीमत निर्धारित करके अपनी सिफारिशें सरकार को भेजता है और उन सिफारिशों के आधार पर सरकार अलग अलग फसलों की कीमतें वर्ष में दो बार की 23 फसलों के लिए कम से कम समर्थन कीमतें तय की जाती हैं।
किसान भाई-उन्नत विधि अपनायें चावल की उत्पादकता बढ़ायें
खरीफ फसलों में धान प्रदेश की प्रमुख फसल है। धान के अर्न्तगत क्षेत्रफल, उत्पादन एवं उत्पादकता के विगत 5 वर्षों के आंकड़े को देखा जाये तो चावल की औसत उपज में वृद्धि तो हो रही है परन्तु अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत कम है।
टमाटर की उन्नत खेती
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में टमाटर की फसल दो बार लगाई जाती है। पहली फसल की 15 दिसम्बर तक रोपाई हो जानी चाहिए। यह फसल अप्रैल माह के अन्त तक तैयार हो जाती है। दूसरी फसल की रोपाई मार्च माह में हो जानी चाहिए तथा यह मई माह के अन्त या जून के प्रथम सप्ताह में तैयार हो जाती है।
ग्रीष्मकालीन जुताई-फसलों के लिए एक लाभकारी कृषि क्रिया
ग्रीष्मकालीन जुताई कीट एवं रोग नियंत्रण में सहायक है। हानिकारक कीड़े तथा रोगों के रोगकारक भूमि की सतह पर आ जाते हैं और तेज धूप से नष्ट हो जाते हैं।
प्रमुख साझेदारों व राज्यों की भागीदारी के बिना कृषि सुधार विफल होना तय
दिल्ली की सीमा के बाहर सबसे बड़े किसान प्रदर्शनों में से एक को 6 महीने पूरे हो गए। विशेषज्ञों व नीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे प्रतिरोध से सभी को सीख मिलती है कि सभी हिस्सेदारों और राज्यों की सहमति के बगैर कृषि क्षेत्र में कोई भी बड़ा सुधार करने पर उसे लागू करने की राह में व्यवधान आना तय है।
सूचना संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना
भारत के सबसे महान सपूतों में से एक स्वामी विवेकानंद ने उद्धृत किया कि, 'जब तक महिला की स्थिति में सुधार नहीं किया जाता है, तब तक दुनिया के कल्याण का कोई मौका नहीं है। एक पक्षी के लिए केवल एक पंख पर उड़ना संभव नहीं है।"
आम में लगने वाले रोग व उनसे बचाव के उपाय
परिचय : भारत विश्व में आम का सबसे बड़ा उत्पादन करने वाला देश है, परन्तु इसकी उत्पादकता क्षमता से कम है। आम में लगने वाली बीमारियां एवं विकार इसके कम उत्पादन का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिससे नर्सरी से तुड़ाई के पूर्व एवं उपरांत फसल को प्रतिवर्ष भारी नुकसान होता है। भारत में अनेक प्रकार की जलवायु होने के कारण लगभग 140 प्रकार के रोग फसल के उत्पादन में विभन्न स्तर पर क्षति पहुँचाते हैं। इसलिए बागवानों से यह अपील करता हूँ कि इस लेख में दी गई जानकारी का प्रयोग करें जिससे आम में लगने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है और आम की गुणवत्ता को और निर्यात बढ़ाया जा सकता।
औषधीय गुणों से भरपूर अनाज, बदलती जलवायु और विषम परिस्थितियों में भी उग सकते हैं
गेहूं और चावल का चाव बढ़ा तो इन मोटे अनाजों की मांग भी घटती गई नतीजन कीमतें घटी तो किसानों ने भी इन्हें उगाना कम कर दिया। इन सभी का परिणाम है जो आज स्वास्थ्य और पर्यावरण के दृष्टिकोण से फायदेमंद यह फसलें काफी हद तक हमारी थाली और खेतों से गायब हो चुकी हैं।
'सफेद सोना किसानों को बना रहा आत्मनिर्भर'
कपास उत्पादन में देश आत्मनिर्भर बन गया है, बल्कि अब अधिशेष मात्रा का निर्यात अन्य देशों को भी होने लगा है। फाइबर के रूप में कुल उत्पादन का एक तिहाई भाग विश्व बाजार में निर्यात हो रहा है।
स्वस्थ मिट्टी खुशहाल किसान
स्वस्थ भूमि की मिट्टी हाथ से आसानी से भर जाती है और इसमें हवा-पानी का सही आदान-प्रदान होता है। भूमि में जैविक पदार्थ, सुक्ष्म जीव व अन्य भूमि में रहने वाला जीव जैसे कि गंडोआ, मिलीपीड़ इत्यादि का उचित मात्रा में अस्तित्व भूमि में होना चाहिए।
धान की सीधी बिजाई की सफलता के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें
धान यमुनानगर की मुख्य फसल है। यहां इसकी खेती अधिकतर सिंचित भूमि में होती है लेकिन लेबर की समस्या के मद्देनजर इस वर्ष धान की फसल का क्षेत्रफल सीधी बिजाई में बढ़ने के आसार हैं।
जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव एवं फसल विविधीकरण का महत्व
कृषि की मौसम पर अत्याधिक निर्भरता की वजह से फसलों पर लागत अधिक आती है, विशेषकर मोटे अनाजों की फसलों पर, जिनकी खेती अधिकतर उन क्षेत्रों में होती है जो वर्षा पर निर्भर होते हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि आने वाले 80 वर्षों में खरीफ फसलों के मौसम में औसत तापमान में 0.7 से 3.3 डिग्री की वृद्धि हो सकती है।
धान की फसल में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
मैंगनीज की भूमिका को लोहे के साथ निकटता से जुड़ा हुआ माना जाता है। मैंगनीज भी संयंत्र में लोहे के आंदोलन का समर्थन करता है। यह पौधों में ऑक्सीजन के स्तर को प्रभावित करता है। पौधे में मैंगनीज की मात्रा उम्र के बढ़ने के साथ-साथ घटती है, तथा निम्न पत्तियों में कम और पौधों की ऊपरी पत्तियों की मात्रा अधिक होती है।
बागवानी फसलों का सच्चा मित्र है ट्राइकोडमा
ट्राइकोडर्मा पौधों के जड़-विन्यास क्षेत्र (राइजोस्फियर) में खामोशी से अनवरत कार्य करने वाला सूक्ष्म कवक है, जो प्रायः मृदा में सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों के ऊपर तीव्र गति से वृद्धि करता है।
जैविक कीटनाशी से कीट व रोग नियंत्रण
आधुनिक समय में बढ़ती हुई जनसंख्या के खाद्यान्न पूर्ति हेतु किसान रासायनिकों जैसे-खाद खरपतवारनाशी, रोगनाशी तथा कीटनाशकों के प्रयोग कर रहें हैं।
कृषकों की आमदनी बढ़ाने में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान
देश में खेती-बाड़ी के साथ पशुपालन, बागवानी, मुर्गी पालन, मछली पालन, वानिकी, रेशम कीट पालन, कुक्कुट पालन व बत्तख पालन आमदनी बढ़ाने का एक अहम हिस्सा बनता जा रहा है। देश की राष्ट्रीय आय का एक बड़ा हिस्सा कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों से प्राप्त होता है।
पोलीहाउस में बीज रहित खीरे की खेती लाभकारी उद्यम
परिचय एवं महत्व : खीरा (Cucumissativus L.) लौकी परिवार Cucurbitaceae का एक सदस्य है, जिसमें दुनिया के गर्म भागों में 117 जेनेरा और 825 प्रजातियां शामिल हैं। यह सबसे पुरानी सब्जी फसलों में से एक माना जाता है और भारत में 3000 से अधिक वर्षों के लिए खेती में पाया गया है। खीरा एक थर्मोफिलिक और ठंड-अति संवेदनशील फसल है जो 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर बढ़ती है।
धान की सीधी बिजाई: मुख्य समस्याएं व समाधान
पंजाब में साल 2020 में लगभग 13 लाख एकड़ व हरियाणा में 35000 एकड़ पर धान की सीधी बिजाई की गई थी। इस विधि द्वारा पानी व श्रम की बचत होती है। सीधी बिजाई भूमिगत जल को रिचार्ज करने में भी सहायक सिद्ध होती है।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि-वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रूप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है।
बेल वाली सब्जियों में रोगों की रोकथाम
गर्मियों में बेल एवं कन्द वर्गीय सब्जियों का विशेष महत्व है। बेल वाली सब्जियों में कद्दू, पेठा, टिंडा, लौकी, तोरी, करेला, खीरा, पेठा, तर-कक्ड़ी, तरबूज, खरबूजा इत्यादि मुख्य सब्जियां है। इन सब्जियों का उपयोग पकाकर खाने के अतिरिक्त सलाद (खीरा तर-कक्ड़ी), अचार (करेला) एवं फल (तरबूज, खरबूजा) के रुप में किया जाता है।
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए उगाएं हरी खाद
फसल के अच्छे अंकुरण के लिए लैंचा या सनई के बीज को लगभग 8 घंटे तक पानी में भिगो कर रखें। बिजाई से पहले हरी खाद फसल के बीज को राईजोबियम कल्चर (जीवाणु खाद) से टीकाकरण कर लें। बीज को छाया में आधे घंटे तक सूखा कर तुरंत तैयार खेत में बीज दें।
कैच द रैन खेत बने वाटर बैंक
प्राकृतिक जल स्रोतों को समाप्त कर मूक जानवरों एवं वनस्पति के प्रति अमानवीय हिंसा का परिचय दिया है। बून्दों को सहेजनों के अभियान की शुरुआत इन प्राचीन जल स्रोतों को खोजने एवं उन्हें पुनर्जीवित करके करना होगा।
फास्फेटिक और पोटैसिक खाद और उनकी विशेषताएं
फॉस्फेटिक उर्वरक : फॉस्फेट उर्वरकों में मौजूद पोषक तत्व फास्फोरस आमतौर पर फॉस्फोरिक एनहाइड्राइड या फॉस्फोरस पेंटाओक्साइड(पी 2 ओ 5) के रूप में व्यक्त किया जाता है। लॉज (1842) ने पहले रॉक फॉस्फेट और सल्फ्यूरिक एसिड से उपलब्ध फॉस्फेट तैयार किया और उत्पाद को सुपरफॉस्फेट नाम दिया।
कृषि निर्णय हों टैक्नोलॉजी आधारित
आमदनी में वृद्धि करने के लिए ऐसी कृषि पद्धतियां/तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है जिससे पर्यावरण, प्राकृतिक स्रोत व कृषि उत्पादों का उचित प्रयोग होने के साथ-साथ कृषि आमदनी में भी वृद्धि की जा सके। ऐसी अनेक हाईटैक तकनीकें आ गई हैं जिनके प्रयोग से कृषि लागतों को कम किया जा सकता है।
संरक्षित खेती समय की मांग
आज सारी दुनिया में जलवायु परिवर्तन को लेकर चर्चायें हो रही हैं और आज सब लोग यह मान रहे हैं कि मौसम में बड़ी तेजी से बदलाव आ रहा है और साथ ही हम लोगों की खाने की आदतें भी बदलती जा रही हैं। पहले हम मौसम के हिसाब से खान पान करते थे परन्तु अब हम हर सब्जियाँ पूरे वर्ष खाना पसंद करते हैं। चाहे कोई भी मौसम हो। जैसे टमाटर, धनियाँ पूरे वर्ष चाहिएं इत्यादि। ऐसे में ताजा बेमौसमी सब्जियाँ पैदा करने का एक ही तरीका है वह है संरक्षित खेती।
बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई
धान की सीधी बिजाई हेतु उल्टे टी-प्रकार के फाले एवं तिरछी प्लेट युक्त बीज बक्से वाली बीज एवं उर्वरक जीरो-टिल ड्रिल का प्रयोग करना चाहिए। बुवाई करने से पूर्व ड्रिल मशीन का अंशशोधन कर लेना चाहिए जिससे बीज एवं खाद निर्धारित मात्रा एक कप से एवं गहराई में पड़े।
कैसे करें गाजर घास का एकीकृत नियंत्रण
खरपतवार वह अनावश्यक पौधे होते हैं जो कि आमतौर पर वहाँ उगते हैं जहाँ उनकी आवश्यकता नहीं होती हैं। खरपतवार न केवल फसलों को क्षति पहुँचाते हैं अपितु उपजाऊ भूमि को बेकार भूमि में तब्दील कर देते हैं। इसके अतिरिक्त खरपतवार वन, घास के मैदान, तालाबों, नदियों, झीलों जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी की जैव-विविधता को भी प्रभावित करते हैं।
फसलों की बिक्री के लिए एम.एस.पी.का महत्व
किसानों की माँग है कि फसलों की एम. एस. पी. एवं खरीद की कानूनी गारंटी दी जाये। 10 फरवरी 2021 को लोग सभा में भाषण देते समय प्रधानमंत्री जी ने कहा "एम. एस. पी.थी, एम. एस. पी. है और एम. एस. पी.रहेगी।" इस बयान से यह भ्रम पैदा होता है कि किसानों की माँग शायद फिजूल है। प्रश्न एम. एस. पी. रहने का नहीं। असली मुद्दा एम.एस.पी. का लाभदायक होना एवं एम. एस. पी. पर फसलों की खरीद यकीनन बनाना है।