स्ट्रॉबेरी की बढ़ती कीमत और मांग की वजह से किसानों की रूचि स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर बढ़ने लगा है। स्ट्रॉबेरी एक महत्वपूर्ण नरम फल है, जिसको विभिन्न प्रकार की भूमि तथा जलवायु में उगाया जा सकता है। यह पॉलीहाउस के अंदर और खुले खेत दोनों जगह हो जाता है। इसका पौधा कुछ ही महीनों में फल दे सकता है। इस फसल का उत्पादन बहुत लोगों को रोजगार दे सकता है। स्ट्रॉबेरी दूसरे फलों के मुकाबले जल्दी आमदनी देता है। यह कम लागत और अच्छे मूल्य का फल है।
स्ट्रॉबेरी एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन सी, विटामिन-बी 1, बी 2, नियासिन, प्रोटीन और खनिजों का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत है। इसमें मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं।
भारत के इन राज्यों में होती है स्ट्रॉबेरी की खेती : स्ट्रॉबेरी की खेती आमतौर पर ठंडे इलाकों में की जाती है। भारत में कई राज्य जैसे-नैनीताल, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाबलेश्वर, महाराष्ट्र, नीलगिरी, दार्जिलिंग आदि जहां स्ट्रॉबेरी की खेती व्यावसायिक तौर पर की जाती है।
जलवायु : यह फसल शीतोष्ण जलवायु वाली फसल है जिसके लिए 20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है। तापमान बढ़ने पर पौधों में नुकसान होता है और उपज प्रभावित हो जाती है।
स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए मिट्टी व खेत की तैयारी : विभिन्न प्रकार की भूमि में इसको लगाया जा सकता है। परंतु रेतीली- दोमट भूमि इसके लिए सर्वोत्तम है। भूमि में जल निकासी अच्छी हो। इसकी खेती के लिए पीएच 5 से 6.5 तक मान वाली मिट्टी भी उपयुक्त होती है। बलुई दोमट और लाल मिट्टी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इस मिट्टी में स्ट्रॉबेरी की अधिक पैदावार और फल में मिठास आती है।
स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने का समय : स्ट्राबेरी के पौधों की रोपाई 10 सितम्बर से 10 अक्टूबर तक की जाये। रोपाई के समय अधिक तापमान होने पर पौधों को कुछ समय बाद अर्थात् 20 सितम्बर तक शुरू किया जा सकता है।
Diese Geschichte stammt aus der 1st October 2022-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
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