भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के किसानों को खेती के साथ-साथ सहायक व्यवसायों की ओर लाना भी मुख्य आवश्यकता है। डेयरी, मत्स्य पालन, पोल्ट्री जैसे सहायक व्यवसायों पर सरकार भी बहुत कार्य कर रही है। इन व्यवसायों को व्यावसायिक स्तर पर अपनाकर किसान एक तरफ अपनी भूमि से जुड़े रहते हैं और दूसरी तरफ अधिक पैसा भी प्राप्त कर सकते हैं।
आधुनिक समय में पोल्ट्री शब्द को एक बड़े स्तर पर लिया जाने लगा है। इस अधीन मुर्गी फार्म, टर्की, एमू इत्यादि का पालन पोषण भी किया जाने लगा है। मुख्य तौर पर पोल्ट्री में मुर्गी पालन इससे प्राप्त अंडे एवं मीट आते हैं। इसमें हमारा ध्यान पोल्ट्री के मौलिक उत्पादों, मुर्गी फार्म पर भी किया गया है।
भारत एक विकासशील देश है। इसकी एक बड़ी आबादी आवश्यक पौष्टिक तत्वों से वंचित रहती है। मनुष्य द्वारा खाये जाते भोजन में पोल्ट्री से प्राप्त अंडे, मीट, प्रोटीन, खनिज पदार्थों एवं विटामिन का एक बड़ा हिस्सा बनते हैं। यह संतुलित भोजन का अहम हिस्सा हैं। आधुनिक समय में टैक्नॉलोजी के विकास से मुर्गी एवं अंडों की नई किस्में विकसित की जा रही हैं जो विकास को और भी तेज करने में सहायता करते हैं।
पोल्ट्री उत्पाद, प्रोटीन का सस्ता स्रोत है। गत तीन दशकों से इसमें बड़ा परिवर्तन आया है। यह व्यवसाय घर में मुर्गी पालन से आज व्यवसायिक पद चिह्नों पर चलाया जाता एक बड़े उद्योग के तौर पर उभर कर सामने आया है। पोल्ट्री, कृषि सहायक व्यवसायों का सबसे तेजी से उभर रहा क्षेत्र है। कृषि क्षेत्र में इस समय स्थिरता वाली स्थिति बनी हुई है। आधुनिक समय में कृषि क्षेत्र 1.5-2 प्रतिशत विकास दर से आगे बढ़ रहा है। जबकि पोल्ट्री क्षेत्र की विकास दर 8-10 प्रतिशत एवं इससे भी ऊपर है। इस समय सयुंक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संस्थान (FAU) की सबसे अधिक अंडे उत्पादक देशों की श्रेणी में भारत का स्थान तीसरे नंबर पर है। एवं मीट उत्पादन में पांचवें नंबर पर है। भारत में आंध्रा प्रदेश, तामिलनाडू, महाराष्ट्र प्रांत अंडा उत्पादन में अग्रणीय हैं और मीट उत्पादन में हरियाणा, पश्चिमी बंगाल एवं उत्तर प्रदेश अग्रणीय हैं।
Diese Geschichte stammt aus der 15th November 2022-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।