सब्जियों की स्वस्थ पौध ही भरपूर पैदावार का आधार होती है। जब पौध एक से डेढ़ इंच की होते ही जड़ गलन (डैम्पिंग आफ) बीमारी से ग्रसित हो जाती है, तथा क्यारियों से लगभग 80 प्रतिशत पौधे नष्ट हो जाते हैं। कृषकों को सब्जियों की स्वस्थ पौध उगाने की वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग करना चाहिए, ताकि क्यारियों से एक पौधा भी नष्ट न होने पाये।
इस तरह की सब्जियाँ है, जैसेटमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी, गांठगोभी, बटनगोभी, ब्रुसेल्स स्प्राउट, ब्रोकोली, सलाद पत्ता, चिकोरी, इन्डिव, सेलरी, पार्सले, चेरविल, पारस्त्रिप, ग्लोव आर्टिचोक और प्याज आदि जिनकी सर्वप्रथम पौध तैयार की जाती है। इस लेख में सब्जियों की स्वस्थ पौध तैयार कैसे करें की आधुनिक तकनीक का विस्तार से उल्लेख है।
सब्जियों की स्वस्थ पौधशाला का चुनाव :
सब्जियों की स्वस्थ पौध के लिए पौधशाला के लिए चयनित स्थान की मिट्टी हल्की होनी चाहिए, जैसे बलुआर दोमट या दोमट और मिट्टी का पी एच मान 6 के आसपास हो ताकि बीज का जमाव सुचारू रूप से हो सके। पौधशाला के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। सूर्य का प्रकाश पूरे दिन बराबर उपलब्ध हो ताकि पौधे अच्छी प्रकार से विकास कर सकें। मिट्टी आस-पास के क्षेत्र से थोड़ा ऊँची हो और खेत में 5 से 10 प्रतिशत ढलान हो ताकि वर्षा ऋतु का पानी क्यारियों से बाहर चला जाये।
सब्जियों की स्वस्थ पौधशाला की तैयारी :
सब्जियों की स्वस्थ पौध के पौधशाला की मिट्टी की एक बार गहरी जुताई या फावड़े की सहायता से खुदाई अत्यन्त आवश्यक है। तत्पश्चात् जुताई या गुड़ाई करके मिट्टी भुरभूरी बना लें और उसमें से सभी खरपतवार निकाल दें। प्रति वर्ग मीटर की दर से 2 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद या पत्ती की खाद या 500 ग्राम केंचुए की खाद डालकर मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला दें। इससे बीज के जमाव में सुगमता होती है। यदि पौधशाला की मिटटी सख्त हो तो उसमें प्रति वर्ग मीटर की दर से 2 से 3 किलोग्राम रेत अवश्य मिलायें। पौधशाला सुरक्षित स्थान पर बनाना चाहिए।
सब्जियों की स्वस्थ पौध के लिए भूमि शोधन :
Diese Geschichte stammt aus der 1st April 2023-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der 1st April 2023-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।