किसानों के सामने यह सबसे गंभीर समस्या है। इसलिए रासायनिक खादों के विकल्प को अपनाना समय की मांग है। इससे खेती की लागत को कम करके फसलों की प्रति एकड़ उपज को बढ़ाया जा सकता है। हरी खाद जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्रस्तुत लेख में हरी खाद के बारे में विस्तार से चर्चा की जा रही है।
हरी खाद क्या है :
हरे पौधों को खेतों में उगाकर, उसे मिट्टी में मिलाने को ही हरी खाद कहते हैं। हरी खाद के लिए उन पौधों को उचित माना जाता है जिनकी बढ़वार तेजी से होती है और पत्ते ज्यादा होते हैं। इन पौधों की जड़ों में राइजोबियम नाम के जीवाणु पाए जाते हैं जो पर्यावरण से नाइट्रोजन को पौधों की जड़ों में बनी गांठों में एकत्रित करते हैं। पौधे जब अपरिपक्व अवस्था में हों और पौधों में फूल निकलने प्रारंभ हो गए हों, उस अवस्था में हैरो से पौधों को उसी खेत में दबा दिया जाता है। इस विधि को सीटू विधि कहते हैं। इस अवस्था में कार्बन नाइट्रोजन अनुपात कम होता है और इस प्रकार ये पौधे गल सड़कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
हरी खाद बनाने की विधि :
Diese Geschichte stammt aus der 15th August 2024-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
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पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
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मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
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ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
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खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।