शिया के मामाजी रतनगढ़ में रहते थे और वहीं पास उन का खेत था. खेत में कुआं बना था. शिया पहली बार खेत पर आई थी. वह नहीं जानती थी कि कुआं कैसा होता है?
बरसात के दिन थे. खेत की मिट्टी गीली थी और हर तरफ कीचड़ ही कीचड़ था. उस की ममेरी बहन लतिका आराम से गमबूट पहन कर उस में चल रही थी, लेकिन शिया ने चप्पल पहनी हुई थीं और वे बारबार कीचड़ में फंस रही थीं.
शिया ने कहा, “यहां तो चलना मुश्किल है.”
“इसीलिए तो मैं ने आप को कहा था कि जूते पहन लो, क्योंकि इन से बरसात में चलने में आसानी रहेगी,” लतिका ने कहा.
"मुझे मालूम नहीं था कि मैं चप्पलों में चल नहीं पाऊंगी,” कहते हुए उस ने धीरे से अपनी चप्पलें उतारीं.
शिया की सलवार कीचड़ में सन गई थी. वह जैसे ही चलती वैसे ही कीचड़ में फंसी चप्पलें छपाक से उस की सलवार पर छींटें डाल देतीं.
लेकिन उसे खेतों की हरियाली देख मजा आ रहा था, “बरसात में यहां कितनी हरियाली होती है?”
“हां, बहुत,” लतिका ने कहा. तभी अचानक एक बड़ा सा मेढक उछला और शिया के पास आ कर गिरा. उसे देख कर शिया उछल पड़ी. वह कीचड़ में गिरने ही वाली थी कि लतिका ने उसे पकड़ लिया.
“यहां जीवजंतु भी रहते हैं?” शिया ने पूछा.
लतिका बोली, "हां, जब बरसात होती है तो जमीन में पानी भर जाता है और सांप, मेढक आदि जीवजंतु बाहर आ जाते हैं."
शिया और लतिका दोनों हमउम्र थीं, लेकिन वे पहले कभी नहीं मिली थीं, शिया के मातापिता के पास घूमने के लिए समय नहीं था. शिया शहर में रहती थी, लेकिन उस में और लतिका में समानता नहीं थी. वह इकलौती थी और उस के सभी रिश्तेदार भी दूर रहते थे.
Diese Geschichte stammt aus der August First 2022-Ausgabe von Champak - Hindi.
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रिटर्न गिफ्ट
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