एक दिन चिंकी ने अपनी सहेली मीमी से अपनी इच्छा व्यक्त की, “रोज सुबह उठ कर भोजन की तलाश में निकलना और अपने साथियों के लिए भी खाना ले कर आना बहुत नीरस लगता है.”
“अचानक तुम्हें क्या हो गया चिंकी? सब मधुमक्खियां ऐसा करती हैं," मीमी ने चिंतित हो कर कहा.
चिंकी थोड़ा नाराज हो कर बोली, "सुबह से ले कर शाम तक एक ही काम पर लगे रहना मुझे अच्छा नहीं लगता. हमारी भी अपनी जिंदगी है और उसे अपने हिसाब से बिताने का हक हमें भी है.”
“हम सामाजिक प्राणी हैं और समूह में रह कर काम करते हैं. हमारे बहुत से साथी घर की सफाई और हम भोजन इकट्ठा करने में लगे रहते हैं. मुझे तो इस काम में आनंद आता है. आज पता नहीं तुम ऐसी बातें क्यों सोच रही हो?"
“तितली और पतंगों को देखो. वे अपने लिए जीते हैं और अपने हिसाब से काम करते हैं. वे भी हमारी तरह फूलों के रस से अपना पेट भरते हैं, लेकिन ऐसी जिंदगी नहीं जीते जैसी हम जीते हैं."
“हर प्रजाति का काम करने का अपना तरीका होता है. तितली और पतंगे हमेशा अकेले रहते आए हैं और आगे भी रहेंगे. हम समूह में रहते हैं और वहीं पर सब के साथ मिल कर हमारा अस्तित्व भी है.”
“काश, ऐसा हो पाता कि हम जल्दी से भोजन इकट्ठा कर कुछ समय अपने हिसाब से बिता पाते,” चिंकी आह भर कर बोली.
“तुम्हें जल्दी भोजन इकट्ठा करना है तो किसी हलवाई की दुकान पर जाओ. वहां तुम्हें खाने के लिए बहुत सारी चाशनी मिलेगी. तुम्हारा काम भी जल्दी निबट जाएगा और अपने लिए घूमनेफिरने का समय भी मिल जाएगा," मीमी मजाक करते हुए बोली.
उस की बात सुन कर चिंकी ने चौंक कर उसे देखा. उसे लगा वह सही कह रही है, आखिर फूलों से वे जो रस इकट्ठा करते हैं वही जोजो हलवाई की दुकान में मिठाई की चाशनी से मिल सकता है. क्यों न किसी दिन उधर ही चला जाए?
“तुम ठीक कह रही हो. चलो, किसी दिन जोजो हलवाई की दुकान पर चलते हैं. वहां से चाशनी का लुत्फ ले कर जल्दी वापस आ जाएंगे.”
“मैं मजाक कर रही थी चिंकी, वहां बहुत खतरा है. तुम सच मान बैठी."
“इस में बुराई क्या है?”
Diese Geschichte stammt aus der November First 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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