"गुडमौर्निंग मां," केशव अपनी मां शालिनी के पास आ कर बोला, जो अपने वर्करूम में थीं. शालिनी मधुबनी आर्ट बनाती थीं. "मैं अलार्म की पहली घंटी पर ही उठ गया," मां के पास बैठ कर उस ने गर्व कहा. वह फर्श पर पेंटब्रश से कुछ बनाने भी लगा.
शालिनी ने घड़ी को देखा और उस के बाद बेटे से कहा, "अभी सुबह के 10 बज रहे हैं, केशव सुबह का आधा समय तो पहले ही बीत चुका है," उन्होंने गहरी सांस ली. शालिनी को उसे ले कर काफी चलना होता था. "केशव, नाश्ता टेबल पर रखा है. जल्दी से तैयार हो जाओ, नाश्ता करो और पढ़ाई शुरू कर दो. कल तुम्हारा विज्ञान का पेपर है. तुम यह जानते हो न?"
"मैं जानता हूं, मां. इसीलिए मैं अलार्म की पहली घंटी पर ही जाग गया हूं," केशव ने इस बारे में दोबारा बताया.
केशव अपनी किताबें फैला कर बैठ गया. उसे नहीं पता था कि कहां से शुरू करे. अभी भी बहुत कुछ पढ़ने को था. इस तरह तो उसे पूरे दिन पढ़ना पढ़ेगा.
लेकिन वह कुछ समय खेल कर आराम करना चाहता था. इसलिए उसे एक आइडिया सूझा. उस ने सोचा कि समीरा, जो क्लास की टौपर थी और उस के घर की अगली गली में रहती थी, उस से कुछ मदद ले.
"मां, मैं एक सवाल पूछने के लिए समीरा के घर जा रहा हूं," मां की प्रतिक्रिया का इंतजार किए बिना ही केशव ने साइकिल की चाबी उठाई और दरवाजा बंद कर बाहर चला गया.
वह साइकिल से उस के घर पहुंचा और जब समीरा ने दरवाजा खोला, तो उस ने उस से पूछा, "समीरा, कृपया क्या तुम मुझे महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को मार्क कर के दे सकती हो? यह कल के पेपर की तैयारी करने में मेरी मदद करेंगे," केशव ने अपनी विज्ञान की पुस्तक समीरा को देते हुए कहा.
उस ने बड़े ध्यान से प्रश्नों को मार्क किया और बोली, "मुझे पूरा विश्वास है कि कल के पेपर में यह प्रश्न आएंगे. मैम जब पढ़ा रही थीं तो उन्होंने इन प्रश्नों को महत्त्वपूर्ण बताया था."
"धन्यवाद," साइकिल पर बैठते हुए केशव बोला. समीरा ने काफी शानदार काम किया था. केशव दो घंटे में ही मार्क किए प्रश्न हल कर सकता था. उस के पास अब काफी समय था. उस ने घर जाने से पहले लंबी दूरी की सवारी करने का फैसला किया.
"अरे केशव, क्या तुम ने पढ़ाई पूरी कर ली?" उस के दोस्त सुंदर ने अपने घर की बालकनी से उसे आवाज लगाई. सुंदर समीरा के घर के पास रहता था.
Diese Geschichte stammt aus der February Second 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
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सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.
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\"तुम हर दुकान पर जा कर पटाखों की कीमत क्यों पूछ रहे हो, विदित? तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए पहले ही हजार रुपए के पटाखे खरीद लिए हैं, चलो, मुझे अभी दीये और मिठाई भी खरीदनी है,\" विदित की मां ने झल्लाते हुए कहा.
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