पिता के लिए बारबार सतारा आ कर बच्चों से मिलना संभव नहीं था. अतः उन्होंने अपने बच्चों को पत्र द्वारा संदेश भिजवाया कि वे इन छुट्टियों में उन से मिलने कोरेगांव आ जाएं.
पिता का संदेश पा कर नन्हा बालक भीम बहुत खुश हुआ. खुश होने के दो कारण थे. सब से पहले जब से उसकी मां का निधन हुआ था तब से सतारा में जीवन उन के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया था. उस समय वह 5 वर्ष का था. घर को संभालने वाला कोई नहीं था. ऐसे में उन की बुआ पर उन की देखभाल की जिम्मेदारी आई, परंतु वह भी अपने कमजोर शरीर के कारण घरेलू कामकाज करने में असमर्थ थीं. इसलिए बच्चों को अकसर खाना स्वयं ही पकाना पड़ता था. परंतु वे केवल चावल पकाना जानते थे इसलिए अधिकतर वही खा कर गुजारा होता था.
दूसरा, भीम अपने साथ स्कूल में होने वाले भेदभाव से दुखी था. भीम का परिवार हिंदू महार जाति से संबंध रखता था, जो उन दिनों अछूत समझा जाता था. उन के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से भेदभाव किया जाता था. भीम के पिता ने सेना में अपनी हैसियत का इस्तेमाल कर अपने होनहार बच्चे का सरकारी स्कूल में दाखिला तो करवा दिया मगर महार जाति का होने के कारण उसे कक्षा के अन्य बच्चों के साथ बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति नहीं थी. उसे अन्य अस्पृश्य बच्चों के साथ विद्यालय में बाहर बिठाया जाता था. ब्राह्मण अध्यापकों द्वारा न तो उन का ध्यान रखा जाता था और न ही उन्हें कोई सहायता दी जाती थी. फलस्वरूप भीम कक्षा के बाहर अपना बोरा बिछा कर ही बैठता था और वहीं से सब याद करता था.
प्यास लगने पर उसे स्कूल के प्याऊ से पानी पीने का भी अधिकार नहीं था. वह चपरासी द्वारा अपने हाथों पर गिराया पानी ही पी सकता था. यदि किसी कारणवश चपरासी छुट्टी पर रहता तो भीम को दिनभर प्यासा ही रहना पड़ता था.
कक्षा के बच्चे न तो उस के साथ खेलते थे और न ही उसे अपनी किसी चीज को हाथ लगाने देते थे. ऐसे में भी अकेला ही रहता था. यह सब उसे अच्छा नहीं लगता था.
"भैया, हम लोग पिताजी के पास कब जाएंगे," भीम ने उतावला हो कर अपने भाई से पूछा.
"जल्दी ही चलेंगे. पहले थोड़ी तैयारी तो हो जाए." भैया ने भीम को समझाते हुए कहा.
Diese Geschichte stammt aus der April First 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der April First 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.
बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, \"मेरे पास वयस्कों के लिए भले ही समय न हो, लेकिन बच्चों के लिए पर्याप्त समय है.\"
दीवाली पोस्टर प्रतियोगिता
\"अरे जंपी, मैं ने सुना है कि हरितवन के राजा दीवाली पर बच्चों के लिए रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं,\" चीकू खरगोश ने जंपी बंदर से कहा.
डागाजी की पटाखा दुकान
\"तुम हर दुकान पर जा कर पटाखों की कीमत क्यों पूछ रहे हो, विदित? तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए पहले ही हजार रुपए के पटाखे खरीद लिए हैं, चलो, मुझे अभी दीये और मिठाई भी खरीदनी है,\" विदित की मां ने झल्लाते हुए कहा.
मोबाइल वाला चूहा
रिकी चूहा अपने बिल से बाहर निकला और किसी काम के लिए चल पड़ा. कैटी बिल्ली ने उसे देखा और पकड़ने के लिए दौड़ी, लेकिन रिकी उस से ज्यादा स्मार्ट निकला.
हैलोवीन कौस्ट्यूम पार्टी
नंदू हैलोवीन पार्टी के लिए सोहम के घर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति था.
सीधा सादा सौदा
मणि ने जब उसने हौल में प्रवेश किया तो था 'को अपने दोस्तों के साथ बहस करते हुए सुना.
आइए, रोबोटिक्स मार्बल्स से मिलिए
वेआम किशोरों की तरह देख सकते हैं, लेकिन 10 बच्चों की यह टीम हाईस्कूल के छात्रों के लिए दुनिया की सब से रोबोटिक्स चुनौती है. 13 से 17 वर्ष की उम्र के प्रत्येक सदस्य ने 26 से 29 सितंबर को एथेंस ग्रीस में संपन्न हुए फर्स्ट ग्लोबल चैलेंज (एफजीसी) में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया.