वफी बोला, "शिक्षक दिवस पर स्कूल में होने वाली इंटरस्कूल दौड़ मुझे जरूर जीतनी है. अभी घर जा कर तैयार हो कर आता हूं. फिर हम स्कूल में मिलते हैं."
यह कह कर वफी वापस अपने घर की ओर दौड़ पड़ा. मम्मी ने उस के लिए दूध और गाजर का नाश्ता तैयार कर रखा था. वफी नाश्ता कर के झटपट तैयार हो गया और स्कूल की तरफ भागा. उस की तरह ही कई बच्चे दौड़ की प्रैक्टिस कर रहे थे और उन्हें सुबहसुबह जंगल में दौड़ते हुए देखा जा सकता था.
वफी का लक्ष्य था कि वह शिक्षक दिवस पर होने वाली दौड़ जीते और उस में मुख्य अतिथि एथलीट चपल चीता से पुरस्कार प्राप्त करे.
स्कूल के गलियारे में वफी की मुलाकात स्कूल प्रिंसिपल हट्टू हाथी से हुई, तो उस ने उस से पूछा, "कहो वफी, कैसी चल रही है तुम्हारी दौड़ की तैयारी? दूसरे स्कूलों के भी बहुत से बच्चे इस में भाग लेंगे. कल फाइनल सेलेक्शन होगा कि हमारे स्कूल की तरफ से रेस में कौन भाग लेगा."
वफी ने जवाब दिया, "मेरी तैयारी तो बहुत अच्छी चल रही है, सर. मुझे स्कूल की तरफ से भाग लेने की आशा है."
प्रिंसिपल ने कहा, "बैस्ट औफ लक, देखते हैं, कल क्या होता है."
छुट्टी के बाद वफी जब घर पहुंचा तो उसे थ महसूस हो रही थी, पर उस ने परवाह नहीं की और अपना होमवर्क करने के बाद दौड़ की प्रैक्टिस के लिए निकल पड़ा, पर उसे ऐसा लग रहा था कि उस से दौड़ा नहीं जा रहा है.
ब्लैकी के घर तक पहुंचने के बाद वह थक गया था, ब्लैकी वहीं बाहर हनी और ब्रेड खा रहा था. उस ने वफी को देखा और कहा, "क्या हुआ, वफी?"
वफी बोला, "मैं थोड़ा अस्वस्थ महसूस कर रहा हूं."
ब्लैकी ने उसे अपने घर बुलाया. ब्लैकी की मम्मी ने उस के लिए बहुत बढ़िया चाय बनाई. वफी में वापस घर जाने की ऐनर्जी ही नहीं बची थी, ब्लैकी की मम्मी ने डाक्टर गीदड़ को बुलाया.
वफी ने डाक्टर गीदड़ से कहा, "मुझे ऐसी दवा दीजिए, जिससे मेरा बुखार उतर जाए और मैं कल दौड़ सकूं."
डाक्टर गीदड ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि तुम कल दौड़ पाओगे. अगर तुम दौड़ोगे, तो तुम्हारी तबीयत और भी ज्यादा खराब हो जाएगी," यह कह कर उन्होंने दवा लिख दी थी.
उधर वफी के घर नहीं पहुंचने से मम्मी को टेंशन हो रही थी. वह उसे खोजते हुए ब्लैकी के घर पहुंची.
Diese Geschichte stammt aus der September First 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.