इस समय दो तरह की परवरिश देखी जा रही है। एक वह, जो हमने अपने माता-पिता से सीखी और दूसरी वह, जो नए जमाने की मॉडर्न पैरेंटिंग है।
विश्व माता-पिता दिवस (1 जून) पर खास
कभी हम माता-पिता से बहुत डरते थे। उनकी हर बात हमारे लिए पत्थर की लकीर होती थी। हमारी पसंद-नापसंद कोई खास मायने नहीं रखती थी। समय बदला। अब बच्चों की अपनी स्वतंत्र सोच है। उनकी पसंद-नापसंद इतनी मायने रखती है कि माता-पिता को उन्हें मानना होता है। इसमें दो राय नहीं कि पहले के सख्त अनुशासित पिता की छवि अब एक दोस्त के रूप में बदल गई है। हर गलती पर डांटने या मारने वाली मां अब बेटी की सहेली बन गई है। इस पूरे बदलाव में असल परीक्षा मौजूदा पीढ़ी के माता-पिता की है, जिन्होंने अपने समय में कठोर अनुशासन झेला है, लेकिन अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार अपना रहे हैं। परवरिश को लेकर कुछ पुराने और कुछ नए माता-पिता के अनुभव-
गलती करते तो खूब डांट पड़ती
Diese Geschichte stammt aus der May 26, 2023-Ausgabe von Rupayan.
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मन की साफ-सफाई
अचानक रीना ने गंभीर होते हुए कहा, \"मीता, मैं सोचती हूं, क्यों मन की सफाई भी कर लूं। आखिर भगवान जी हमारे दिल में ही तो विराजते हैं।\"
जहां देखो, बाल ही बाल
पेट्स दिन भर घर में दौड़-भाग करते हैं, इसलिए उनके बाल भी घर के हर कोने में नजर आते हैं, जिनकी सफाई आसान नहीं है।
याद रहे जन्मदिन पार्टी
आपके बच्चे का पहला जन्मदिन है। अगर आप इसे यादगार बनाना चाहत हैं तो आपको थीम से लेकर ढेर सारी तैयारियां करनी होंगी।
रिश्तों का 'डे आउट'
भाई-बहन के रिश्ते में शरारत होती है और होता है ढेर सारा प्यार। अगर ये सब पीछे छूट गया है तो आपको और आपके भाई को एक 'सिबलिंग डे आउट' की सख्त जरूरत है।
निखार नहीं और अगले महीने शादी!
जैसे-जैसे शादी के दिन नजदीक आ रहे हैं, आपका निखार मुरझा रहा है। आपकी चिंता बढ़ गई है और तनाव दोगुना हो गया है। जानकार कहते हैं कि ऐसी स्थिति में आपको प्राकृतिक तरीकों और एक सही ब्यूटी रूटीन पर भरोसा करना चाहिए।
मंद-मंद मुस्कुराती सर्दी में आप
सर्दी ने अपने पंख फैल लिए हैं। ठंड का अहसास होने लगा है। इस सुहावने मौसम में आपको जरूरत है अदरक वाली चाय की चुस्की और आरामदेह तथा स्टाइलिश लिबास की।
थोड़ी बोरियत भी अच्छी!
क्या आप भी कोई काम करते-करते बोर हो जाती हैं, तो अपने फोन की ओर हाथ बढ़ाने के बजाय खुद को बोरियत की भावना में डूबने दें। जानकार कहते हैं कि बोरियत के कुछ पल आपकी रचनात्मकता और कार्यक्षमता को अनलॉक करने में मदद कर सकते हैं।
खाते-पीते आधी रात
जब मन हुआ, कुछ खा लिया। जब मन हुआ, कुछ पी लिया। मन नहीं भरता। कभी-कभी तो आधी रात में भी खाने की तलब लगती है। लेकिन क्या आपके शरीर को भोजन की इतनी जरूरत है?
अस्तित्व की तलाश
फूल! जिनकी आयु सबसे छोटी है, वह भी जरा-सा स्नेह रस पाकर जीवंत रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं?
इस आदत को बदल डालें
कुछ लोग बहुत परिश्रमी होते हैं और अपने समय का सदुपयोग करने के लिए पूरे दिन व्यस्त रहते हैं। लेकिन कहीं यह व्यस्तता आपकी आदत तो नहीं बन गई है?