मीना रोज सुबह छह बजे उठ जाती है। पहले वह सबके लिए ब्रेकफास्ट बनाती है, उन्हें खिलाती है। मीना सुबह के लंच की तैयारी रात में ही कर लेती है, क्योंकि अगर वह रात में तैयारी नहीं करेगी तो दूसरे दिन सुबह-सुबह सबके लिए चाय-नाश्ता और लंच तैयार करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। अब बेटा स्कूल जा चुका है, पति ऑफिस और वह घर में अपनी सासू मां के साथ है। उनके लिए भी सुबह बिना चीनी वाली चाय, उसके बाद बिना तेल-घी और कम मिर्च-मसाले वाला नाश्ता।
एक टास्क पूरा होने के बाद दूसरे टास्क की तैयारी फिर शुरू करनी है। दोपहर में सासू मां के लिए उनकी पसंद का खाना। फिर से लंच की तैयारी, स्कूल से लौटने के बाद बेटे को पढ़ाने की जिम्मेदारी, फिर शाम से ही रात के खाने की तैयारी, पता ही नहीं चलता, कब सुबह से शाम हो जाती है। मीना को अपने लिए वक्त ही नहीं मिलता। लगभग हर दिन इसी तरह बीते जा रहा है। अपने सपने को छोड़कर सभी के सपनों का ध्यान रखती है। उस पर भी घर-बाहर वालों से सिर्फ यह सुनने को मिलता है कि हाउसवाइफ ही तो हो, करना ही क्या पड़ता है! यह सुनकर दिल तो दुखेगा ही!
Diese Geschichte stammt aus der November 03, 2023-Ausgabe von Rupayan.
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