अगर आपका यह मानना है कि सिर्फ बड़े ही परेशान होते हैं या बच्चों को कैसी परेशानी, किस बात की चिंता, तो फिर आप गलत हैं। बच्चे सिर्फ एग्जाम के समय ही तनाव में नहीं आते, बल्कि वे तमाम बातें उन्हें भी परेशान करती हैं, जिनसे आपके मन में खलबली मचती है। खासकर आजकल के समय में हम सभी एक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। स्कूल, कॉलेज में ना सिर्फ पढ़ाई, बल्कि एक्स्ट्रा कुरिकुलर एक्टिविटीज में भी अच्छा परफॉर्म करने का प्रेशर बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि पेरेंट्स की भी बच्चों से अपेक्षाएं बढ़ती जा रही हैं। वे चाहते हैं कि उनका बच्चा हर फील्ड में बेस्ट परफॉर्म करे। इसकी एक बड़ी वजह हमारे जीवन में सोशल मीडिया का बढ़ता हुआ दखल भी है। हर बच्चा अपने पीअर ग्रुप में एक्सेप्टेंस चाहता है। इस वजह से कई बार वे ऐसे काम भी करने लगते हैं, जिन्हें करने में वे खुद सहज महसूस नहीं करते। अपनी पोस्ट पर लाइक्स व कमेंट्स आए कि नहीं, दोस्तों ने चैट के लिए इनवाइट किया या नहीं, अपोजिट सेक्स की तरफ से इंट्रेस्ट रिसीव हुआ कि नहीं, ऐसी कई बातें प्री टीनएज और टीनएज में परेशान कर सकती हैं। इस वजह से बच्चों में परेशानी, एंग्जाइटी एक आम सी फीलिंग है, जिससे उबरने में अगर पेरेंट्स मदद ना करें, तो समस्या बड़ी बन सकती है।
बात ध्यान से सुनें
Diese Geschichte stammt aus der May 2023-Ausgabe von Vanitha Hindi.
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