पिछले दिनों दिल्ली से सटे नोएडा के एक स्कूल में साढ़े 3 साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप का मामला सामना आया। बच्ची कई दिनों से गुमसुम व डरी सहमी हुई थी। जब उसके माता-पिता उसे डॉक्टर के पास ले गए तो पता चला कि उसके गुप्तांगों के साथ छेड़छाड़ की गयी है। जब प्यार से बच्ची से इस बारे में पूछा गया तो उसने रोते हुए बताया कि स्कूल में जो भैया प्लेट देते हैं, उन्होंने अंदर कुछ चुभाया था और इस बारे में किसी को कुछ ना बताने की धमकी दी थी। परिजन बच्ची की बात सुन कर सकते में आ गए। मामले की और तहकीकात की गयी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। बच्ची ने इस बारे में अपनी क्लास टीचर को बताया था, लेकिन क्लास टीचर ने भी उसे यह समझा दिया कि वह इस बारे में किसी से कुछ ना कहे। हालात अब यह है कि वह बच्ची बुरी तरह से सहमी हुई है, ना तो वह किसी अनजान आदमी से मिलना चाहती है और ना ही स्कूल जाना चाहती है। हालांकि आरोपी को अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिया गया और स्कूल की प्रिंसीपल और टीचर के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन मानवता को झकझोरने वाली इस घटना ने महिला सुरक्षा पर फिर से कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि डिजिटल रेप क्या है?
क्या है डिजिटल रेप
बिना अनुमति के किसी महिला, युवती या बच्ची के साथ किसी बाहरी वस्तु, हाथ या पैर के अंगूठे से छेड़छाड़ या यौन उत्पीड़न करना या फिर ऐसा करने के लिए मजबूर करना डिजिटल रेप की श्रेणी में आता है। 2012 तक यह छेड़छाड़ के दायरे में आता था। निर्भया केस के बाद रेप से जुड़े नए कानून में बिना अनुमति या जबर्दस्ती पेनिट्रेशन को यौन अपराध मानते हुए इसे सेक्शन 375 और पॉक्सो एक्ट की श्रेणी में रखा गया है। ऐसा देखा गया कि इन मामलों में ज्यादातर छोटी बच्चियां ही पीड़ित होती हैं, इसलिए आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। इस मामले से पहले भी 2019 में एक आरोपी को डिजिटल रेप का आरोपी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनायी गयी थी और 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। पॉक्सो एक्ट में अपराध की गंभीरता को देखते हुए 20 साल से ले कर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है, वहीं अगर पीड़िता की मृत्यु हो जाती है तो आरोपी को फांसी की सजा भी हो सकती हैं।
क्या होता है असर बच्चों पर
Diese Geschichte stammt aus der December 2024-Ausgabe von Vanitha Hindi.
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