कितना सुखद अहसास है कि पति-पत्नी घर के सारे काम मिलजुल कर करें। सालों तक घर के काम स्त्रियां करती रही हैं, लेकिन आज की जीवनशैली में यह साझेदारी और सहयोगी भूमिका जरूरी हो गयी है। विकसित देशों में तो रोल रिवर्सल के भी उदाहरण हैं। हाउसवाइफ की ही तरह हाउस हसबैंड का कॉन्सेप्ट आ गया है। भारत में भी पिछले कुछ वर्षों में स्त्रियों पर घर-बाहर की जिम्मेदारियां तेजी से बढ़ी हैं। ऐसे में घर के कामों को ले कर कई बार रिश्तों में तनाव की स्थिति पैदा होती है। लेकिन इन पर खुल कर बात करना हमारे यहां अच्छा नहीं समझा जाता । इसलिए बात नहीं होती और पार्टनर्स को मेंटल-इमोशनलफिजिकल प्रॉब्लम्स से जूझना पड़ता है।
पुरुषों की किचन ट्रेनिंग
रिसर्च और स्टडीज बताती हैं कि घरेलू जिम्मेदारियों में बराबर की साझेदारी जरूरी है। जो कपल्स ऐसा कर पाते हैं, उनके रिश्ते खुशगवार बने रहते हैं। अब तो सरकारें भी घरेलू कामों का महत्व समझने लगी हैं। हमारे देश में पहली बार केरल सरकार ने स्मार्ट किचन प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके तहत पुरुषों को खाना पकाने, बरतन धोने और घर की सफाई करने जैसे काम सिखाए जाएंगे। बच्चों को भी खाना बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे जीवन के हर पहलू पर बेहतर समन्वय स्थापित कर सकें, जरूरत पड़ने पर कहीं भी सर्वाइव कर सकें।
दरअसल हमारे देश में पारिवारिक ढांचा शुरुआत से ही ऐसा बन गया, जिसमें स्त्री को घर और पुरुष को बाहर की जिम्मेदारी मिली। चूंकि घरेलू कार्यों का कोई मूल्य नहीं होता, इसलिए इन्हें नगण्य माना जाता रहा। सचाई यह है कि जब इन्हीं कार्यों के लिए डोमेस्टिक हेल्प की जरूरत पड़ती है, तो अच्छा-खासा पैसा खर्च करना पड़ता है, इसके बावजूद मन लायक काम नहीं मिल पाता।
अमीर भी करते हैं काम
Diese Geschichte stammt aus der July 2023-Ausgabe von Vanitha Hindi.
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