ङब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 97 करोड़ मानसिक रोगी हैं। पेनडेमिक के बाद इनमें 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है। मेंटल हेल्थ को ले कर अब लोग जागरूक तो हैं, लेकिन महज एक फीसदी लोग इलाज की प्रक्रिया में जा रहे हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि हीलिंग के लिए कई बार सेल्फ थेरैपी भी प्रभावकारी जरिया साबित होती है। इसे औपचारिक साइकोथेरैपी का विकल्प तो नहीं माना जा सकता, लेकिन रोजमर्रा की समस्याओं में इससे मदद मिलती है। विशेषज्ञ इसके कुछ उपाय बताते हैं। जैसे - अपने इमोशंस या विचारों को लिखना, ताकि बिहेवियरल पैटर्न को समझने में मदद मिले। सेल्फ हेल्प बुक्स पढ़ना- क्योंकि दूसरों के अनुभव भी कई बार प्रेरक हो सकते हैं। थेरैपी टेकनीक्स के बारे में पढ़ना, जैसे- सीबीटी यानी कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरैपी। इससे डिप्रेशन, एंग्जाइटी, रिश्तों की समस्याओं और पर्सनेलिटी डिस्ऑर्डर को समझने में मदद मिलती है। इन दिनों कई ऑनलाइन कोर्सेज या एप भी हैं, जिनकी मदद से अपनी भावनाओं को समझा जा सकता है। यूडेमी और कोर्सेरा जैसे प्लेटफॉर्म पर ऐसे कोर्सेज उपलब्ध हैं। कई एप्स भी हैं, जिनकी मदद से बिहेवियरल पैटर्न को समझा जा सकता है।
मददगार स्किल्स
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