डिजिटल युग में पढ़ाई स्क्रीन के जरिए ज्यादा हो रही है। किंडल, मोबाइल या लैपटॉप के अलावा इन दिनों ऑडियो बुक्स भी हिट हैं। लेकिन बुकशेल्फ में रखी किताबों की गंध तो एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। हाथों में किताबे थामने और पन्ने पलटने का सुख डिजिटल पढ़ाई से कैसे मिल सकता है भला ! अगर आप रोज कुछ देर किताबें पढ़ते हैं तो इसके बहुत से फायदों से वाकिफ होंगे।
किताबें सच्ची दोस्त
कहते हैं, किताबों से अच्छा कोई दोस्त नहीं होता। जितनी तरह की किताबें पढ़ेंगे, उतनी ही अधिक जानकारियां मिलेंगी, अलग-अलग जगहों के खानपान, पहनावे, भाषा, सभ्यता व संस्कृतियों से वाकिफ हो सकेंगे। किताबें वहां पहुंचा देती हैं, जहां पहुंचना शारीरिक रूप से संभव नहीं हो पाता। जितनी कम उम्र में पढ़ने की आदत लग जाए, उतना ही अच्छा है।
दिमाग की खुराक
Diese Geschichte stammt aus der July 2024-Ausgabe von Vanitha Hindi.
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