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सत्ता के खिलाड़ी
पिछले साल पूरी दुनिया पर धावा बोल देने वाली कोविड महामारी ने न केवल लाखों लोगों की जाने लीं और अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद कर दिया, बल्कि कई भूभागों की राजनैतिक व्यवस्था में भी रद्दोबदल कर डाला. भारत विनाशकारी वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में था, पर यहां कोविड का राजनैतिक असर अभी तक सामने नहीं आया है. मार्च 2020 में महामारी का प्रकोप होने के बाद छह राज्यों में चुनाव हुए, सभी अप्रैल 2021 की शुरुआत में देश में कोविड की दूसरी लहर की दस्तक से पहले. लेकिन इन राज्यों के चुनाव अभियान में कोविड चुनावी मुद्दा नहीं था. देश की राजनैतिक सत्ता व्यवस्था मोटे तौर पर जस की तस बनी हुई है, जिसमें आरएसएस-भाजपा का तंत्र शीर्ष पर मजबूती से कायम है. कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भाजपा सरकार के खिलाफ अकेली राष्ट्रीय आवाज बने हुए हैं, पर हाल के सियासी आंदोलनों ने नए सत्ता केंद्रों के रूप में क्षेत्रीय क्षत्रपों को उभरते देखा. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए चलाए गए भाजपा के जबरदस्त अभियान का न केवल डटकर मुकाबला किया, बल्कि अब खुद को मोदी के विकल्प के तौर पर भी पेश कर रही हैं. इस चाहत में उन्हें मराठा दिग्गज शरद पवार के समर्थन की दरकार होगी. इंडिया टुडे की 2021 की सियासी सत्ता वाली सूची देश में राजनैतिक विमर्श को दिशा देने वाले सबसे मजबूत खिलाड़ियों का खाका पेश करती है.
आधे इधर, आधे उधर जाएंगे?
सिनेमाघरों के खुलने के ऐलान के साथ ही इससे जुड़े हजारों लोगों के चेहरे खिले. दूसरी ओर अब दर्शकों के उधर मुड़ने की संभावनाओं के मद्देनजर ओटीटी प्लेटफॉर्म भी बदल रहे रणनीति
शिखर समूह
इसे चाहे लचीलेपन की ताकत कह लें, लेकिन आगे के पन्नों पर नमूदार 50 दिग्गजों में से ज्यादातर ऊंचे और असरदार लोगों की हमारी सालाना फेहरिस्त में पिछले कई बार से बने हुए हैं. इसमें कोई शक नहीं कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट और उसकी वजह से घोर आर्थिक बदहाली के दौरान सत्ता, संपदा और शोहरत का कवच साथ होना अच्छा है और महामारी की शुरुआत के बाद यह 'रसूखदार लोगों' की हमारी दूसरी फेहरिस्त है. फिर भी ऐसे साल में जब बहुत-से नीचे की ओर लुढ़क रहे हों, कामयाबी की बागडोर थामे रखना सिर्फ विशेषाधिकार के बूते संभव नहीं. ऐसे अनिश्चित दौर में देश के कारोबार, संस्कृति और मनोरंजन जगत की प्रमुख शख्सियतें खुद को प्रासंगिक बनाए रखकर ही शिखर पर बनी रह सकती हैं. उद्योग दिग्गज दूसरी लहर के संकट के दौर में अनिवार्य सामान और सेवाएं मुहैया कर मैन्युफैक्चरिंग के पहियों को गति देते रहे. डिजिटल रुझान वालों को महामारी से भारी उछाल मिली. बड़ी फार्मा कंपनियों ने जरूरी दवाइयां मुहैया कराके रसूख और साख का नया आभामंडल हासिल किया. अब महामारी के आतंक की जगह उम्मीद का नाजुक एहसास अंगडाई ले रहा है, हमारी फेहरिस्त उनकी प्रतिभा और भूमिका की भी कायल है जो घोर अंधेरे दिनों में हमारा दिल बहलाते रहे और हमें एकजुट किए रखा.
दुनिया में देसी
पश्चिम के सर्वोच्च राजनैतिक पदों पर 'कमला', 'ऋषि' और 'प्रीति' का विराजमान होना महज वक्त की ही बात थी. हमारी जबान से इन नामों का इतनी सहजता से निकलना कहीं न कहीं बेहद रोमांचक है. इनसे जो अपनापन हमें महसूस होता है, वह पूरी तरह मनगढंत नहीं है. मौजूदा अमेरिकी उपराष्ट्रपति और ब्रिटिश चांसलर के साथ हमारी जो साझा सांस्कृतिक विरासत है, राष्ट्रीयता और वंशावली के अक्सर सीमित करने वाले रूपकों से आगे जाती है. ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल जब मैनचेस्टर में कंजरवेटिव पार्टी के साथियों के साथ 'सेवा' की अहमियत पर बात करती हैं, तो वे भारतीयता को अपने विमर्श का हिस्सा बना रही होती हैं.
सबसे पुरानी पार्टी के नए तेवर
अक्तूबर महीने की 16 तारीख को कांग्रेस कार्यसमिति ( (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के दौरान महासचिव (संगठन)के.सी. वेणुगोपाल ने पार्टी संगठन के लिए अरसे से लंबित चुनाव का कार्यक्रम जारी किया.
सोने सी खरी बात
जादुई सोचः कैसे काम करता है खेल जगत के दो ध्रुव तारों का दिमाग
वापसी की उड़ान
एयर इंडिया का निजीकरण देर से 1 सही केंद्र की मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत की तरह होनी चाहिए, जो कारोबार से छुटकारा पाकर राजकाज पर फोकस करने के वादे पर अपनी प्रत्यक्ष नाकामी पर काफी आलोचना की शिकार हो चुकी है. हालांकि एयर इंडिया के लिए टाटा घराने की 18,000 करोड़ रुपए की बोली कोई महाराजा की कीमत नहीं था, फिर भी टाटा की बोली केंद्र सरकार के रिजर्व प्राइस से 40 फीसद अधिक और दूसरी बोली लगाने वाले स्पाइस जेट के मालिक अजय सिंह से करीब 20 फीसद अधिक थी. हालांकि, इस सौदे से सरकार को 2,700 करोड़ रुपए ही मिलेंगे, बाकी 15,300 करोड़ रुपए का कर्ज टाटा के मत्थे रहेगा.
बेहतर ढंग से सामान्य स्थिति कैसे हो बहाल
जलवायु परिवर्तन से लेकर महामारी तक, अर्थव्यवस्था से लेकर भूराजनैतिक शक्ति परिवर्तन तक...इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 19वें संस्करण ने इस दशक में हमारी जिंदगियों को गढ़ने वाली चार बड़ी धाराओं को समझने का जतन किया
चलती का नाम इलेक्ट्रिक गाड़ी
मिशन इलेक्ट्रिकः पथ-प्रदर्शकों से मिलें. भारत कैसे हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री
घाटी में खौफ की वापसी
जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के एक कश्मीरी पंडित सामाजिक कार्यकर्ता (सुरक्षा कारणों से नाम नहीं दिया जा रहा है) पिछले एक पखवाड़े से पुलिस की हिफाजत में रह रहे हैं. 5 अक्तूबर की मध्यरात्रि पुलिस का एक जत्था आया और उन्हें उनके घर से एक किलोमीटर दूर ज्यादा सुरक्षित जगह ले गया. वे कहते हैं, "उन्होंने कहा कि मैं उग्रवादियों की रडार पर हूं और मुझे उनके साथ चलना होगा."
भगवा राह का अगुआ
भीतरी इंजीनियरिंगः जीत. चुनौतियां. आत्मनिरीक्षण, और वे तमाम बातें जो भाजपा को आगे ले जाती हैं जगत प्रकाश नड्डा, अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
गुमशुदा बच्चों का मसीहा
खुशियों की सौगातः खोए हुए बच्चों को उनके माता-पिता से मिलाना; परित्यक्त और प्रताड़ित बच्चों को बचाना
बेहतर नई दुनिया
बदली राह : इनसान को शून्य कॉर्बन उत्सर्जन की ओर क्यों दौड़ना चाहिए बिल गेट्स, सह-अध्यक्ष, बिल ऐंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन
क्या कांग्रेस को उबार पाएंगी प्रियंका?
अक्तूबर की 3 तारीख की रात को कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने दिल्ली से लखनऊ के लिए उड़ान भरी. उनकी फ्लाइट रात 9 बजे लखनऊ में उतरी और वे तुरंत लखीमपुर खीरी के लिए रवाना हो गईं. उस दिन लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र 'टेनी' के बेटे आशीष मिश्र के काफिले की गाड़ियों से कुचलने से चार किसानों की मौत हो गई और उसके बाद हिंसा भड़क गई थी.
स्ट्रीमिंग के सुपरस्टार
सीरियल थ्रिलरः हमारे जेहन पर छाए हुए सितारे
हिंसा ने बढ़ा दी भाजपा की चुनौती
लखीमपुर खीरी में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत ने राज्य में भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है. किसानों की नाराजगी के साथ-साथ नए सियासी समीकरण भी उभर रहे
महाराजा की बगावत
कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाता कांग्रेस से टूटना और पंजाब की सियासत में अध्याय की शुरुआत लगभग तय
दरवाजे पर सरकार
ग्रामीण वार्ड सचिवालय व्यवस्था का लक्ष्य हर योग्य व्यक्ति तक कल्याणकारी कार्यक्रमों का लाभ ऐसे पहुंचे कि वह संतुष्ट हो जाए
हेरोइन ने अब मचाया हाहाकार
दक्षिण अफगानिस्तान के अफीम के खेतों से भारत की सड़कों तक, अफगान-पाकिस्तान से हेरोइन की खेपों की एकाएक तेज हुई आवक ने भारत में मादक द्रव्यों की पहेली को और जटिल कर दिया
सबसे ऊपर सेहत
भारत के कोरोना योद्धाओं का अभिनंदन, भारत में कोविड की स्थिति पर विशेषज्ञों के साथ बातचीत और संगीत के धड़कते सुरों से बंधा समां-इंडिया टुडे हेल्थगीरी अवार्ड 2021 में यह सब कुछ था
जैविक कृषि में जो ढूंढते हैं आनंद
खुशी की सौगातः किसानों को जैविक कृषि अपनाने के लिए तैयार करना और उनकी आय बढ़ाने में मददगार बनना
आदिवासी ताल पर
हाल के महीनों में, मध्य प्रदेश में घटनाओं का पूरा एक सिलसिला चला जिसने साबित किया कि भाजपा ने संभावित लुभावनी सूची में एक नए समुदाय को शामिल कर लिया है. और वह है आदिवासी वोटर. मार्च में राज्य सरकार ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को जनजातीय सम्मेलन में दमोह आमंत्रित किया था.
अब दिल्ली में खेला होबे'
भवानीपुर उप-चुनाव से पहले 26 सितंबर को एक नुक्कड़ बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा कियाः "भबानीपुर थेके आर एकटा खेला शूरू हॅबे. ई खेला शेष हॅबे भारतबर्ष जॉय कॅरे (भवानीपुर में एक नया खेल शुरू हुआ है, जिसकी परिणति भारत को जीतने में होगी).
तो क्या अब होकर ही रहेगी मुठभेड़?
तृणमूल बनाम ईडी/सीबीआइ
बेदखली की सियासत
असम की भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार, भूमि अतिक्रमण की समस्या को युद्धस्तर पर निपटाने की कोशिश कर रही है, लेकिन भूमि सुधारों और पुनर्वास योजनाओं के अभाव में अतिक्रमण हटाने के ये अभियान राजनीति से प्रेरित कार्य बन गए हैं
क्वाड की पलटन
क्या भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया मिलकर आक्रामक चीन को काबू कर सकते हैं
क्या गुजर गया बदतरीन दौर?
रोजाना संक्रमणों की गिरती रफ्तार और बड़े पैमाने पर टीका अभियान से उम्मीदें बढ़ीं कि संभावित तीसरी लहर उतनी विनाशकारी शायद न हो जितनी दूसरी थी, मगर वायरस के बदलते रूपों का मंडराता खतरा और आसन्न त्यौहारों के चलते विशेषज्ञों ने कोविड संबंधी सावधानियों के पालन की अहमियत पर जोर दिया
मंत्रिमंडल विस्तार से साधे समीकरण
उत्तर प्रदेश में जून में संपन्न हुए पंचायत चुनाव के बाद से ही योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें शुरू हो गई थीं. मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक कई बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं के बीच बैठकों का दौर चला. 23 सितंबर को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर भाजपा के विधानसभा चुनाव प्रभारी और केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र
क्या कांग्रेस फंस गई है?
अट्ठाइस सितंबर को दोपहर करीब 3 बजे पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा ट्वीट करके एक बार फिर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी. जल्द ही, उनके दो समर्थकों, कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्तान और परगट सिंह ने भी अपने इस्तीफे दे दिए. जाहिर है, सिद्धू महत्वपूर्ण नियुक्तियों पर नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के स्वतंत्र राह अपनाने से नाराज थे. उनमें राज्य मंत्रिमंडल में विवादास्पद विधायक और शराब कारोबारी राणा गुरजीत सिंह को शामिल करना; राज्य के अटॉर्नी जनरल के रूप में ए.पी.एस. देओल और डीजीपी के रूप में इकबाल प्रीत सिंह सहोता को नियुक्त करना; और सिद्धू के कट्टर विरोधी सुखजिंदर सिंह रंधावा को गृह मंत्रालय सौंपना शामिल था.
तमिल सभ्यता की खोज
तमिराबरानी नदी घाटी में हाल की पुरातात्विक खोजों से इस अंचल में यही कोई ईसा पूर्व 1200 के आसपास एक जटिल सभ्यता के उत्थान का पता चलता है