जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के अलसाए-से सलाल गांव में बहुत ज्यादा हलचल नहीं है. ऊंचाई पर बसे इस गांव से बर्फ से लदे पहाड़, हरी-भरी पहाड़ियां और बीच से बलखाती गुजरती चिनाब नदी के खूबसूरत नजारे दिखते हैं. रियासी में भारत की इंजीनियरिंग के दो चमत्कार हैं. एक तो 690 मेगावॉट की सलाल पनबिजली परियोजना, और दूसरा, दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल. 1,315 मीटर लंबा यह मेहराब पुल चिनाब के तल से 359 मीटर ऊपर है, यानी पेरिस के मशहूर एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा.
किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि यह चट्टानी भूभाग, निर्माण सामग्री मुहैया करने के अलावा लीथियम की वजह से सलाल को वैश्विक बाजार के केंद्र में ले आएगा. यह नरम और चांदी जैसी सफेद क्षारीय धातु रीचार्ज होने वाली बैटरियों, सोलर पैनलों, मोबाइल फोन, लैपटॉप और यहां तक कि दिमागी बीमारियों की दवाइयों के प्रमुख घटकों में इस्तेमाल होती है.
पिछले महीने सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की 62वीं बैठक के बाद केंद्रीय खान मंत्रालय ने कई दूसरी बातों के अलावा यह भी ऐलान किया कि जम्मू शहर से 77 किमी दूर सलाल में खनन के लिए बड़ी तादाद में लीथियम संसाधन मौजूद है. शुरुआती अनुमान बताते हैं कि यहां इस क्षारीय धातु के 'अनुमानित' 59 लाख टन जितनी हैरतअंगेज मात्रा में होने की संभावना है. फिर क्या था, सरकार से लेकर उद्योग और गांव तक लोग खुशी से झूम उठे. अंतिम जमा भंडार अनुमान से भले कम हो लेकिन जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) की शुरुआती खोज भारत को दुनिया में लीथियम के छठे सबसे बड़े भंडार का घर बना सकती है, जो चीन के 51 लाख टन के ज्ञात भंडार से ज्यादा है. अगर जीएसआइ के अनुमान सही हुए तो भारत की के इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की प्रगति में एक तरह से क्रांति ही आ जाएगी.
Diese Geschichte stammt aus der March 22, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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