![चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1734348033/articles/Cjr0D9DgI1734355521373/1734355910202.jpg)
लगभग आधी रात का वक्त. बेंगलूरू में लैंगिक कानून सलाहकार फर्म अनजेंडर की संस्थापक 39 वर्षीया पल्लवी पारीक जब सोने की तैयारी कर रही होती हैं तो उन्हें महसूस होता है कि उन्हें सैनेटरी नैपकिन की जरूरत है. वे अपना स्मार्टफोन उठाती हैं, क्विक कॉमर्स ऐप पर ऑर्डर दे देती हैं. 10 मिनट के भीतर डिलिवरी पहुंच जाती है. पल्लवी कहती हैं, "क्यू-कॉमर्स मेरे परिवार की रीढ़ है." वे ऐन वक्त की जरूरत और रोजमर्रा के किराने के सामान, बिना पर्चे की दवा और यहां तक कि उपहारों के लिए भी क्विक कॉमर्स ऐप पर निर्भर रहती हैं.
पल्लवी की कहानी महानगरों में समय की तंगी से जूझते उन परिवारों और पेशेवरों की झलक है जिन्होंने शहर के भारी ट्रैफिक और पार्किंग के झंझट को दरकिनार करते हुए अपना कीमती समय बचाने की तलाश में क्यू-कॉमर्स मार्केटप्लेस को अपना लिया है. ऐन वक्त और तुरंत खरीद के समाधान के रूप में जो चीज शुरू हुई, वह अब एक जरूरत में तब्दील हो गई है, जिसमें 10-15 मिनट के भीतर लगभग हर चीज मुहैया कराने की क्षमता है. इन ऑनलाइन मार्केटप्लेस से मिलने वाली सुविधाओं को पल्लवी कुछ इस तरह बयान करती हैं, "जैसे कोई आपके लिए दरवाजे पर खड़ा है."
Diese Geschichte stammt aus der December 25, 2025-Ausgabe von India Today Hindi.
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चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
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सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
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गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
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डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.