आर्थिक वृद्धि
व्हाइट पेपर
"2014 से भारतीय अर्थव्यवस्था में कई संरचनात्मक सुधार हुए हैं, जिनसे व्यापक अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स को मजबूती मिली है. सुधारों के फलस्वरूप भारत 'कमजोर पांच देशों' के समूह से निकलकर एक ही दशक में 'शीर्ष पांच देशों' की श्रेणी में शामिल हो गया, बाहरी मोर्चे की अप्रत्याशित बाधाओं के बावजूद ऐसा हुआ."
ब्लैक पेपर
(इसमें वृद्धि के आंकड़ों का जिक्र नहीं है, इसके बजाए "आर्थिक अन्यायों" पर फोकस किया गया है.) "मोदी सरकार का कार्यकाल बेरोजगारी की ऊंची दर, नोटबंदी और खामियों वाले जीएसटी जैसे आर्थिक संकटों से भरा हुआ है, जिससे गरीब और अमीर के बीच खाई और बढ़ी है और करोड़ों किसानों और दिहाड़ी मजदूरों का भविष्य तबाह हुआ है."
रोजगार
व्हाइट पेपर
"यूपीए सरकार की नीतिगत निष्क्रियता और गलत कदमों के कारण बहुमूल्य निजी निवेश रुक गया जिससे विकास और रोजगार का सृजन होता" (पत्र रोजगार के आंकड़ों और रोजगार सृजन के लिए मोदी सरकार के उठाए कदमों पर खामोश है).
ब्लैक पेपर
"प्रधानमंत्री मोदी हर साल 2 करोड़ रोजगार पैदा करने के अपने वादे में पूरी तरह नाकाम हुए हैं. 2012 में कुल बेरोजगारी एक करोड़ थी लेकिन 2022 में बढ़कर 4 करोड़ हो गई. केंद्र सरकार में स्वीकृत 10 लाख पद खाली पड़े हुए हैं."
मुद्रास्फीति
व्हाइट पेपर
"2009 और 2014 के बीच मुद्रास्फीति बेकाबू थी. वित्त वर्ष 09 से वित्त वर्ष 14 के बीच के 6 वर्ष में ऊंचे राजकोषीय घाटे ने संकट में इजाफा किया. पांच साल के दौरान औसत वार्षिक मुद्रास्फीति की दर दोहरे अंक में थी."
ब्लैक पेपर
"रोजमर्रा की जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. करोड़ों परिवार पीड़ित हैं, विशेषकर महिलाएं जो अक्सर घरेलू बजट संभालती हैं."
टैक्सेशन
व्हाइट पेपर
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