उस याचिका में कर्नाटक सरकार ने कहा है कि 2023 के मॉनसून के दौरान बारिश कम होने की वजह से राज्य के 236 में से 223 उपजिले पिछले साल खरीफ की खेती के सीजन में सूखे के शिकार हो गए. नुक्सान का आकलन के लिए केंद्र सरकार की अंतरमंत्रालयी टीम राज्य के दौरे पर आई, और सिद्धारमैया सरकार ने यह भी कहा कि समूची प्रक्रिया पूरी होने के पांच महीने बाद भी सहायता नहीं मिली.
सुप्रीम कोर्ट में वह रिट याचिका दायर होने के बाद राज्य की सिद्धारमैया सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार के बीच जुबानी जंग छिड़ गई. वैसे, धन के आवंटन को लेकर राज्य और मोदी सरकार के बीच टकराव साल भर से चल रहा है.
केंद्र सरकार की ओर से रिट याचिका को लेकर और सूखा राहत के मसले पर कोई जवाब अभी नहीं आया है, मगर याचिका दायर होने के एक दिन बाद 24 मार्च को बेंगलूरू में सार्वजनिक मंच से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक, राज्य सरकार को केंद्र सरकार से फंड के बारे में...मैं आपको खास तौर पर विस्तार से बताना चाहती हूं कि कर्नाटक का बकाया एक-एक पैसा दिया गया है, और समय पर दिया गया है."
Diese Geschichte stammt aus der April 10, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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