श्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 3 मार्च को महिलाओं के लोकप्रिय गेम शो दीदी नं. 1 में नमूदार हुईं. टीवी के लाखों दर्शकों के सामने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कविताएं सुनाईं, तस्वीरें बनाईं, आदिवासी महिलाओं के साथ नृत्य किया और खेलों में हिस्सा लिया. कइयों को उत्सुकता हुई कि उनके अचानक टीवी पर आने के पीछे क्या राज था. जवाब हफ्ते भर बाद मिला, जब दीदी नं. 1 की होस्ट रचना बनर्जी को हुगली लोकसभा क्षेत्र से टीमएसी उम्मीदवार घोषित किया गया. रचना ओडिया सिनेमा की हस्ती रही हैं और बंगाली, हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी अदाकारी की है. हुगली में 20 मई को मतदान हुआ. रचना ने वहां मौजूदा सांसद और भाजपा उम्मीदवार लॉकेट चटर्जी को टक्कर दी, जो खुद अभिनेत्री से राजनेता बनी हैं. ममता ने यही सोचा होगा कि मनोरंजन ने जगत का एक लोकप्रिय नाम टीवी के एक पूर्व सितारे को बढ़िया टक्कर दे सकता है. हुगली वापस जीतने के लिए टीमएमसी को यह रणनीति सूझी, तो यही मंसूबा भाजपा के दिमाग में भी था. उसने अभिनेता से भाजपा विधायक बने हिरनमय (या हिरन) चटर्जी को घाटल सीट से मैदान में उतारा, जहां से बंगाली सिनेमा के सितारों में से एक दीपक अधिकारी अभी सांसद हैं. परदे के नाम देव से लोकप्रिय दीपक टीएमसी के लिए 2014 से यह सीट जीत रहे हैं. घाटल में 25 मई को मतदान हुआ.
Diese Geschichte stammt aus der June 05, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.