हाथरस जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर सिकंदराराऊ-एटा मार्ग पर फुलरई मुगलगढ़ी गांव पड़ता है. यहां डेढ़ सौ बीघा जमीन के एक टुकड़े पर जुलाई को नारायण साकार विश्व हरि उर्फ 'भोले बाबा' के एक दिवसीय सत्संग का आयोजन किया गया था. इसके लिए सुबह करीब चार बजे से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरिद्वार से श्रद्धालु फुलरई में जुटने लगे थे. सुबह आठ बजे तक प्रवचन स्थल श्रद्धालुओं से पट गया था. दोपहर ठीक 12 बजे भोले बाबा सत्संग स्थल पर बने मंच पर पहुंचे. 15 मिनट तक श्रद्धालु बाबा की जयकार करते रहे. इसके बाद काल बना सत्संग शुरू हुआ. करीब सवा घंटे के सत्संग का समापन दोपहर डेढ़ बजे भोले बाबा की आरती से हुआ. आरती संपन्न होने के बाद भीड़ सत्संग स्थल की बगल में मौजूद सिकंदराराऊ-एटा हाइवे पर जाने लगी. इसी बीच सत्संग स्थल की व्यवस्था संभाल रहे सेवादारों को मंच से निर्देश दिया गया कि वे भीड़ को रोककर भोले बाबा के काफिले को गुजारने का रास्ता बनाएं. यही वह क्षण था जब करीब 200 सेवादारों का जत्था भीड़ रोककर खड़ा हो गया. भीड़ में सबसे आगे महिलाएं थीं. दोपहर करीब दो बजे के करीब बाबा का काफिला भीड़ को चीरता हुआ हाइवे की ओर बढ़ने लगा. लोगों में बाबा के करीब पहुंचने की होड़ लग गई. धक्का-मुक्की और भीड़ के बढ़ते दबाव को सेवादारों ने डंडा दिखाकर रोकना चाहा तो भगदड़ मच गई. बरसात के कारण जमीन में फिसलन थी. जिसकी वजह से लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे. जो सत्संग स्थल से बाहर की ओर भागे वे हाइवे की बगल में गड्ढे में गिर गए.
करीब एक घंटे बाद जब अफरातफरी का माहौल थमा तो पूरा सत्संग स्थल श्मशान में तब्दील हो गया था. लाशों के ढेर में लोग अपनों को खोजकर, उनसे लिपटकर विलाप कर रहे थे. हालात इतने हृदयविदारक थे कि मौके पर ड्यूटी कर रहे एक सिपाही रवि कुमार की हार्ट अटैक से मौत हो गई. इस घटना ने 124 लोगों की जिंदगियां लील लीं जिनमें 113 महिलाएं हैं. ढाइ सौ से ज्यादा लोग घायल हुए, जिन्हें एटा, आगरा, अलीगढ़ के अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचाया गया.
Diese Geschichte stammt aus der July 17, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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