पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में 17 जून की सुबह एक कंटेनर मालगाड़ी ने पटरी पर खड़ी कंचनजंघा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी, जिससे मालगाड़ी के चालक और नौ यात्रियों की मौत हो गई. प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इस खंड में स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली के रखरखाव का काम चल रहा था, जिसके कारण यहां से गुजरने वाली ट्रेनों को रफ्तार 10-15 किमी प्रति घंटे रखनी थी और बतौर सावधानी हर लाल सिग्नल पर रुकना अनिवार्य था. इसी क्रम में कंचनजंघा एक्सप्रेस लाल सिग्नल पर रुकी थी. तभी पीछे से मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी.
रेलवे अधिकारियों ने मृत मालगाड़ी चालक 46 वर्षीय अनिल कुमार को सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करने का दोषी ठहराते हुए हादसे को 'मानवीय चूक' का नतीजा बताया. इस घटना ने फिर रेखांकित कर दिया कि ट्रेनों के तेज गति से सिग्नल या एक-दूसरे की तरफ बढ़ने के दौरान स्वचालित ब्रेक लगाकर ऐसी टक्करों को रोकने में सक्षम स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली को व्यापक स्तर पर लागू किया जाना कितना आवश्यक है. हर रेल हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव स्वदेशी स्तर पर विकसित एटीपी समाधान कवच की खूबियों का जिक्र कर अपनी टीम को इसे जल्द लागू करने का निर्देश देते रहे हैं. फिर भी, हकीकत यही है कि इसकी प्रगति बेहद धीमी रही है.
अश्विनी वैष्णव ने जुलाई 2022 में लोकसभा को बताया था कि कवच को सिकंदराबाद-केंद्रित दक्षिण मध्य रेलवे में 1,140 किलोमीटर रेलमार्ग पर स्थापित किया गया है और इसे पूरे देश में 35,000 किलोमीटर से अधिक रेल नेटवर्क में लगाने की योजना है. तबसे अब तक रेल हादसों में करीब 300 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. उनके मुताबिक, "जिस तरह हमने मिशन मोड में रेल नेटवर्क का विद्युतीकरण किया, कवच लगाने में यही गति बनाए रखी जाएगी." हालांकि, अभी जुलाई तक कवच सुरक्षा कुल 68,000 किलोमीटर लंबे रूट में से केवल 1,465 किमी पर प्रभावी हो पाई है और दो वर्षों में 300 किलोमीटर से अधिक की यह प्रगति अभी दक्षिण मध्य रेलवे तक ही सीमित है. इसी तरह कवच भी 90 इंजनों से बढ़कर अब 144 तक पहुंच पाया है जो कुल 15,200 इंजनों का 1 प्रतिशत से भी कम है.
Diese Geschichte stammt aus der July 17, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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