राष्ट्रीय राजधानी स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय या जेएनयू-जिस नाम से यह लोकप्रिय है-भले ही पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई बार विवादों में घिरा रहा हो लेकिन यह सोशल साइंस या एप्लाइड साइंस के छात्रों के लिए एक पसंदीदा विकल्प बना हुआ है. हर साल अधिक से अधिक आवेदन आने के साथ यहां प्रवेश लेना कठिन होता जा रहा है. पांच साल पहले एक सीट के लिए औसतन 20 छात्र आवेदन करते थे, आज औसतन 40 छात्र कतार में होते हैं. जेएनयू में सबसे पुराने पाठ्यक्रमों में से एक अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्री जैसे कुछ पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए तो और भी कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है. इसमें एक सीट के लिए कम से कम 220 छात्र आवेदन करते हैं. यहां की छात्रा रह चुकीं कुलपति शांति श्री धूलिपुड़ी पंडित कहती हैं, "हम सोशल साइंस में अध्ययन और शोध में देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में एक हैं. छात्र यहां सिर्फ इसलिए नहीं आते कि जेएनयू एक प्रतिष्ठित संस्थान है बल्कि इसलिए भी आना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि यहां उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में दुनिया के सबसे काबिल लोग मिलेंगे.' वे यह भी कहती हैं, “जेएनयू एक अलग ही तरह की दुनिया है. यहां पढ़ने वाले छात्र कहीं और नहीं जाना चाहते क्योंकि बौद्धिक बहस और विविधतापूर्ण माहौल उन्हें इसका आदी बना देता है.."
Diese Geschichte stammt aus der August 07, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der August 07, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.