कहानियों के इस महादेश में कोई कहानी तब तक अमर नहीं होती जब तक उसमें हौसले की बघार न हो. हौसले के दम पर दो भाई जब महासागर पार कर कपट की नींव पर बसा सोने का शहर भस्म कर आते हैं तो पीढ़ियों तक उनकी कहानी सुनी-सुनाई जाती है. हौसले की ऐसी ही महाकथा पिछले हफ्ते प्रदेश के पूर्वांचल के जिले बलिया और बिहार के जिले बक्सर में घटी. गंगा नदी के दोनों तरफ बसे इन इलाकों में आजादी के बाद डकैतों के हौसले बुलंद हुआ करते थे. बलिया में गंगा के किनारे मौजूद नरही, कोरन्टाडीह और आसपास का इलाका अपराधियों की सैरगाह हुआ करता था. फिर आखिरकार बलिया के थाना नरही के तहत आने वाले उजियार गांव के रहने वाले और सतीश चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के तत्कालीन प्रबंधक गोरखनाथ उपाध्याय सामने आए. उन्होंने सरयां गांव की अपनी 80 डिसिमिल जमीन कोरन्टाडीह चौकी और थाने के निर्माण के लिए दान में दें. 20 मई, 1986 को बलिया जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आर. डी. त्रिपाठी ने नवनिर्मित कोरन्टाडीह चौकी परिसर का उद्घाटन किया.
धीरे-धीरे अपराधियों के हौसले पुलिस के सामने पस्त हुए. लेकिन जैसे महागाथाएं अंत के बाद भी जिंदा रहती हैं और उनके उत्तरकाण्ड लिखे जाते हैं, वैसे ही कोरन्टाडीह चौकी की कथा असल में यहीं से शुरू होती है. जब अपराधी अपराध न कर रहे हों, तब पुलिस के मुस्तैद जवानों का हौसला क्या यूं ही पड़ापड़ा सीलता रहे? इसका इलाज कोरन्टाडीह चौकी के जवानों ने खुद ही निकाला और बलिया-बिहार बार्डर से गुजरने वाले ट्रकों से अवैध वसूली करने का रैकेट बना डाला. पुलिसवालों के हौसले इतनी बुलंदी पर पहुंचे कि आखिरकार चौकी प्रभारी समेत सभी सात सिपाहियों को निलंबित करना पड़ा.
Diese Geschichte stammt aus der August 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der August 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.